Friday, March 29, 2024
featuredदिल्ली

पत्नी ने संबंध बनाने से मना किया तो पति ने दिया तलाक…

SI News Today

गाजियाबाद: गंभीर बीमारी से ग्रसित एक पत्नी को तीन तलाक का डर दिखाकर उसका पति शारीरिक संबंध बनाता रहा। पत्नी ने तीन बच्चों को जन्म दिया। पति ने जब देखा कि वह आगे पत्नी से और संबंध नहीं बना सकता तो एक दिन उसने पत्नी को तीन तलाक देकर दूसरी महिला से शादी कर ली और दूसरी पत्नी के साथ दिल्ली में रहने लगा। लाचार महिला ने पति की शिकायत पुलिस से की है।

पुलिस मामले की जांच कर रही है। मोदीनगर के सिखैड़ा रोड निवासी युवती की शादी 2001 में मुरादनगर स्थित केलामंडी निवासी युवक से हुई थी। शादी के बाद विवाहिता जब पहले बच्चे की मां बनी तो डॉक्टर ने उसे बताया कि यदि अब वह दोबारा मां बनी तो अंदरूनी बीमारी के चलते उसकी जान को खतरा हो सकता है।

आरोप है कि इसके बाद भी उसका पति जबरन उससे संबंध बनाता रहा। जब उसने पति को डॉक्टर की बात का हवाला दिया तो पति ने उसे तलाक देने की धमकी दी। दोबारा मां बनने के बाद भी पति अपनी हरकत से बाज नहीं आया और उसने तीसरी बार भी पत्नी से संबंध बनाते हुए उस पर मां बनने का दबाव डाला।

तीन बच्चों की मां बनने के बाद आरोपी पति अपनी पत्नी को छोड़कर चला गया। उसने पत्नी से मायके चले जाने को कहा। विवाहिता ने मायके जाने से मना किया तो आरोपी ने जान से मारने की धमकी दी। तीन तलाक का डर दिखाकर उसे जबरन मायके छोड़ गया।

पीड़िता ने बताया कि हाल ही में पति ने कागज पर लिखकर उसे तीन तलाक दे दिया और उसे बिना बताए दूसरी महिला से शादी रचा ली। महिला ने बताया कि अब वह दूसरी पत्नी के साथ नई दिल्ली स्थित फ्लैट में रहा है। पीड़िता रविवार को अपने बच्चों को लेकर थाने पहुंची और आरोपी पति के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।

पीड़ित महिला का आरोप है कि पति ने उसे इस कारण तलाक दिया, क्योंकि बीमारी के चलते वह आगे उससे और संबंध नहीं बना सकता था। महिला की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। एसएसआइ अवनीश गौतम का कहना है कि दोनों पक्षों को थाने बुलाया गया है।

यहां पर बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बहुमत के निर्णय में मुस्लिम समाज में एक बार में तीन बार तलाक देने की प्रथा को निरस्त करते हुए अपनी व्यवस्था में इसे असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य करार दिया था। बहुमत के फैसले में कहा गया कि तीन तलाक सहित कोई भी प्रथा जो कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है, अस्वीकार्य है।

कोर्ट ने कहा था कि तीन तलाक की यह प्रथा कुरान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने 365 पेज के फैसले में कहा, ‘3:2 के बहुमत से दर्ज की गई अलग-अलग राय के मद्देनजर‘तलाक-ए-बिद्दत’’ तीन तलाक को निरस्त किया जाता है।

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर ने तीन तलाक की इस प्रथा पर छह महीने की रोक लगाने की हिमायत करते हुए सरकार से कहा कि वह इस संबंध में कानून बनाए जबकि न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति उदय यू ललित ने इस प्रथा को संविधान का उल्लंघन करने वाला करार दिया था।

SI News Today

Leave a Reply