Friday, March 29, 2024
featuredलखनऊ

प्रेग्नेंट वाइफ को अकेले छोड़ रिपोर्टर ने किया था बाबा को बेपर्दा…

SI News Today

लखनऊ- बाबा गुरमीत राम रहीम को रेप केस में 20 साल कैद की सजा सुनाई गई है। इस पूरे मामले में सीबीआई कोर्ट ने फैसला भले ही आज सुनाया है, लेकिन इसका खुलासा 2007 में दो सीनियर जर्नलिस्ट ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए किया था। बाबा को बेपर्दा करने वाले जर्नलिस्ट अनुराग त्रिपाठी ने बातचीत में उस स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े डिटेल्स शेयर किए। सबसे पहले लोकल अखबार में छपा था बाबा का सच…

– अनुराग बताते हैं, “2002 में डेरा सौदा की एक साध्वी ने तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम एक लेटर लिखा था। उस लेटर को सिरसा के एक लोकल अखबार के संपादक रामचंद्र छत्रपति ने छापा था। उसी साल 21 नवंबर को उसका मर्डर हो गया। उसकी फैमिली की पुलिस भी मदद नहीं कर रही थी। ऐसे में, वे तहलका मैगजीन में पत्रकारों से मदद मांगने आए।”
– “मैं तब तहलका में ही था। मैंने अपने सीनियर एडिटर से इस खबर पर डिस्कशन किया और हमने ‘झूठा सौदा’ नाम से स्टिंग ऑपरेशन करने का फैसला किया। इस केस में मेरे साथ एत्माद खान भी थे।”

ब्लैक कैट कमांडो के घेरे में रहता था बाबा
– अनुराग बताते हैं, “हमें डेरा के अंदर पहुंचने के लिए बहुत स्ट्रगल करना पड़ा। मेन क्रॉसिंग से लगभग एक किमी दूर महलनुमा बिल्डिंग है, जिसकी खिड़कियों में गार्ड्स गन रखकर तैनात रहते थे।”
– “बाबा की सुरक्षा में ब्लैक कैट कमांडो जैसे गार्ड्स तैनात रहते थे, जो हथियारों से लैस रहते थे। आगे वाली बिल्डिंग में सिर्फ गार्ड्स रहते थे। अंदर एक और नई बिल्डिंग थी, जिसमें एक कमरे को गुफा का रूप दे रखा था। वहीं राम रहीम रहता था। गुफा के अंदर बाबा को साध्वियां सिक्युरिटी देती थीं।”
– “डेरा की तरफ जाने वाली रोड पर बनी हर दुकान पर ‘धन्य धन्य सद्गुरु, तेरा ही आसरा’ लिखा था।”

डेरे में एंट्री के लिए बढ़ाई दाढ़ी, बेलने पड़े ऐसे पापड़
– अनुराग ने बताया, “डेरा में एंट्री मिलना आसान नहीं था। अंदर जाने के लिए डेरा वालों का भरोसा जीतना पड़ता था। हम दोनों डेरा पहुंचे और बोला कि हम भी बाबा की शरण में रहना चाहते हैं, लेकिन गार्ड्स नहीं माने। हम कई दिनों तक डेरा के बाहर बैठे रहे। आइडेंटिटी छुपाने के लिए दाढ़ी बढ़ाई थी। रात को वहीं सड़क पर सो जाते थे। हमारी निष्ठा देख उन्हें हम पर भरोसा हो गया और तब हमें अंदर एंट्री मिली।”
– “एंट्री के बाद हमें चेंबर में बैठाकर कई सवाल किए गए। बाबा की सिक्युरिटी 6-7 लेयर में थी। हमने डेरा पर कई लोगों से बात की कि कोई अपनी परेशानी शेयर कर ले, लेकिन डर की वजह से वे कुछ नहीं बोले। इसी दौरान हमें बाबा के ड्राइवर खट्टा सिंह के बारे में पता चला। हमने उसका नंबर अरेंज किया और उसे ट्रेस करना शुरू किया।”

हमेशा डर लगा रहता था, पत्नी को पहला बच्चा होने वाला था
– अनुराग ने बताया, “मैं बाबा को बेपर्दा चाहता था, लेकिन मन में पत्नी की चिंता लगी रहती थी। वो प्रेग्नेंट थी। मैं पहली बार पिता बनने वाला था और मैं पत्नी से दूर था।”
– “हमेशा ख़तरा बना रहता था। हम कभी रेंटेड रूम तो कभी होटल में ऑरिजिनल आईडी के साथ रहते थे। हमने खट्टा सिंह को छोड़ कर किसी को नहीं बताया कि हम जर्नलिस्ट हैं।”
– “कई बार घर से फोन आता था। संपादक भी रोज फोन पर हाल-चाल लेते थे। वो कहते थे कि अगर खतरा हो तो लौट आओ, लेकिन उसी डर ने हमें आत्मबल दिया। वो मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी स्टोरी थी और आज वह मुकाम तक पहुंच गई है।”

कौन हैं अनुराग त्रिपाठी
– अनुराग त्रिपाठी सीनियर पॉलिटिकल रिपोर्टर हैं। 2007 में तहलका ज्वाइन करने के बाद यह उनका पहला स्टिंग ऑपरेशन था।
– वे यूपी से जुड़े एक चैनल में ब्यूरो चीफ की पोस्ट पर लखनऊ में भी रह चुके हैं। फिलहाल, दिल्ली में बतौर जर्नलिस्ट एक्टिव हैं

SI News Today

Leave a Reply