चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को कहा कि डोकलाम में भारत और चीन के बीच 73 दिन से चला आ रहा गतिरोध भारत के सैनिक हटाए जाने के बाद समाप्त हुआ और नई दिल्ली को इससे सबक सीखना चाहिए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकना चाहिए। इधर नई दिल्ली में भारत के रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भारत-चीन के बीच तनातनी का मसला सुलझने की अहमियत पर बयान देने से इनकार करते हुए कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और सरकार पहले ही अपना रुख साफ कर चुकी है।
भारत और चीन ने सोमवार को डोकलाम में क्षेत्र से अपने-अपने सैनिक हटाकर गतिरोध समाप्त कर दिया था। यह घटनाक्रम अगले हफ्ते ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन की यात्रा पर जाने से पहले हुआ। वांग ने कहा कि भारतीय सैनिकों की अवैध घुसपैठ का मामला सुलझा लिया गया है। वह चीनी मीडिया में आई इन खबरों के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे कि भारत ने मामले के समाधान पर पहुंचने के बाद अपने सैनिक हटा लिए, जिससे कि चीन अपना चेहरा बचा सके।
उन्होंने कहा कि मीडिया अपने कयास लगा सकता है और रिपोर्ट लिख सकता है, लेकिन चीन सरकार के पास मौजूद आधिकारिक सूचना के अनुसार भारतीय सैनिक 28 अगस्त को दोपहर बाद क्षेत्र से हट गए, जिससे गतिरोध खत्म हो गया। उन्होंने कहा कि यह मूल तथ्य है, हम उम्मीद करते हैं कि भारत इस घटना से सबक सीखेगा और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकेगा। डोकलाम में दोनों देशों के सैनिकों के बीच 16 जून से तब से गतिरोध चला आ रहा था, जब भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना को रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण इस इलाके में सड़क बनाने से रोक दिया था। चीन और भूटान के बीच डोकलाम एक विवादित क्षेत्र है। भारतीय सेना ने सड़क निर्माण का काम रुकवा दिया था, क्योंकि इससे चीन को भूटान-चीन-भारत त्रिसंगम क्षेत्र में भारत के खिलाफ बड़ा सैन्य लाभ मिल जाता।
वांग ने शियामेन शहर में अगले सप्ताह होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बारे में यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। दोनों देशों के बीच मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत और चीन दो बड़े देश हैं। यह स्वाभाविक है कि हमारे बीच कुछ समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि जो उचित है, वह यह कि हम इन मतभेदों को उचित स्थान पर रखते हैं और पारस्परिक सम्मान के तहत और हमारे नेताओं की सहमति के बाद हमें इन्हें उचित तरीके से देखने और प्रबंधित करने की आवश्यकता है।
साथ ही विभिन्न तंत्रों के जरिए हमारी बातचीत से हमें दीर्घकालिक समाधान के लिए काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस सवाल का भी सीधा उत्तर नहीं दिया कि क्या मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात होगी। कहा शामिल होने वाले नेताओं के बीच बैठकें और मुलाकात होंगी, जो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। भारत ने मंगलवार को घोषणा की थी कि मोदी शियामेन शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।