Wednesday, March 27, 2024
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जानिए बॉडी बिल्डिंग और सेक्स के बीच है क्या गहरा सम्बन्ध..

SI News Today

आमतौर हम यही सोचते हैं कि किसी भी प्रकार की मैथुन क्रिया हमारे शरीर को कमजोर करता है। जबकि इसका कोई आधार नही देखने को मिलता है। और लोग इस बात को लेकर भ्रमित रहते हैं। जबकि प्रकृति के बनाए इस शारीरिक सुख व दैहिक मैथुन क्रिया को दिमाग पर न लेकर इसे एक साधारण क्रिया माना जाए तो बेहतर है। जैसे शरीर की बाकी प्राकृतिक क्रियाओं से शरीर पर किसी तरह का फर्क नही पड़ता है उसी प्रकार मैथुन क्रिया से कमजोरी होने की बात काफी हद तक गलत है। अगर ये बात सही होती तो शादी के बाद महिला और पुरूष बीमार ही रहते।

एक रिसर्च के मुताबिक प्रकृतिक मैथुन करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स का विस्‍तार होता है। टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन्स शारीरक, मानसिक व जननेंद्रियों के विकास के लिए जरुरी होता है। मैथुन एक शारीरक क्रिया न होकर मानसिक परिपक्वता का अभिन्न अंग है। अगर ये कहा जाये शरीर में नंबर वन सेक्स ऑर्गन क्या है तो दिमाग पहले नंबर पर आता है। आनंदमय व तनावमुक्‍त मैथुन के बाद शरीर में हॉर्मोन्स का विस्तार बढ़ जाता है और इससे मांसपेशियो और हड्डियो का विकास होता है।

अब अगर बॉडीबिल्डिंग और अन्‍य ताकतवर खेल की बात करें तो यह हमारी मांसपेशियों की ताकत पर निर्भर करता है। शारीरक क्षमता व प्रदर्शन मांसपेशियों के साथ-साथ मानसिक तालमेल का परिणाम होते है। मानसिक एकाग्रता ही बढ़िया न्यूरो मस्कुलर संतुलन के लिए जरूरी है। कई बार जरूरत से ज्‍यादा मैथुन जैसी क्रियाओ के करने से आत्म गिलानी की स्थिति उत्पन हो जाती है जिससे हम मानसिक तौर पर कमजोरी महसूस करते है जिसके फलसवरूप हम अपना प्रदर्शन अच्छा नही कर पाते। जबकि ये सब शरीरक न हो कर मानसिक है।

कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि सेक्स व्यायाम और शारीरक प्रदर्शन से पहले कोई उल्टा असर नहीं डालता, और ये पाया गया की प्रदर्शन पहले किया गए मैथुन से बढ़िया आता है। लेकिन यहां एक बात ध्‍यान रखने वाली है कि अगर हम मैथुन को जरुरत से ज्‍यादा करते हैं तो आदत के गुलाम हो सकते है जिससे मानसिक अशांति और मैथुन के प्रति हीन भावना आपको कमजोर बना सकती है।

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