Saturday, April 20, 2024
featuredदिल्ली

दिल्ली: अदालत में मिली जीत से NSUI से बढ़ा हौसला..

SI News Today

अदालत में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) प्रशासन की हार के बाद डूसू चुनाव ने फिर दिलचस्प मोड़ ले लिया है। अदालत से कांग्रेस की छात्र इकाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के उम्मीदवार रॉकी तुसीद को चुनाव लड़ने की अनुमति मिलने के तीन घंटे पहले ही कैंपस की गतिविधियां शुक्रवार दोपहर बाद तेजी से बदलने लगी थीं। सुबह साढ़े दस बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई, अदालत ने कुछ तीखी टिप्पणियां कीं। भोजनावकाश के बाद शाम 4:30 बजे फैसला सुनाने का वक्त निर्धारित कर अदालत ने कार्यवाही रोक दी। एनएसयूआइ को अदालत के रुख में उम्मीद की किरण नजर आई। नेता व कार्यकर्ता कैंपस में जुटने लगे और उम्मीदवारों को प्रचार छोड़ कला संकाय पहुंचने का निर्देश दिया गया।

एक घंटे में करीब एक हजार छात्र फैसला आने से पहले छात्र मार्ग पर जुट चुके थे। इस बीच विधि संकाय में परिषद के कुछ छात्रों ने जैसे ही नारेबाजी की, एनएसयूआइ के लोग उनसे भिड़ गए। परिषद से जुड़े दो छात्रों को हिंदू राव अस्पताल पहुंचाया गया। ठीक 4:30 बजे जज ने एनएसयूआइ की दलील के पक्ष में फैसला दिया। जज ने हैरानी जताई कि विश्वविद्यालय ने कैसे किसी कॉलेज की ओर से किसी छात्र को दी गई चेतावनी को उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई मान लिया? विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को चेतावनी और कार्रवाई में अंतर नहीं समझ आया और यह तय हो गया कि अध्यक्ष पद के लिए तुसीद का नामांकन रद्द करने का विश्वविद्यालय का फैसला गलत था।

करीब पांच बजे कैंपस की गतिविधियों ने एक बार फिर करवट ली। 48 घंटे में तीसरी बार एनएसयूआइ अपने अध्यक्ष पद के उम्मीदवार घोषित किए। एक घंटे पहले तक अध्यक्ष पद के लिए एनएसयूआइ की ओर से प्रचार करती रहीं अलका सेहरावत को अपरोक्ष रूप से बैठाया गया। उनका बैलेट नंबर 1 है। छह बजे कैंपस में विजय जुलूस निकाल कर एनएसयूआइ ने घोषणा की कि रॉकी तुसीद फिर मैदान में है। अब उनका बैलेट नंबर 9 हो गया है। दरअसल कानूनी लड़ाई जीतकर एनएसयूआइ की बांछें भले ही खिल गई हों, लेकिन उसे चुनाव प्रचार खत्म होने का मलाल है। लगातार बदलते बैलेट नंबर से वोट खराब होने का डर भी उन्हें सता रहा है।

छात्र नेताओं का मानना है कि अगर समय नहीं बढ़ा तो राह आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि शनिवार को ज्यादातर जगह छुट्टी रहती है। रविवार को भी छुट्टी है। सोमवार ‘नो कैंपेन डे’ है लिहाजा प्रचार नहीं हो सकता। मंगलवार को चुनाव ही है। युवा कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जीत-हार दोनों ही सूरतों में अदालत के फैसले ने एनएसयूआइ को एक कवच दे दिया है। अगर वे बाजी न पलट सकें तो भी एनएसयूआइ बताने में सफल होंगे कि वे हारे नहीं हराए गए हैं। बहरहाल देखना होगा विश्वविद्यालय के छात्र इस पूरे प्रकरण को कैसे लेते हैं और अपना फैसला किसके हक में देते हैं।

SI News Today

Leave a Reply