Friday, March 29, 2024
featuredदेश

शिकागो यूनिवर्सिटी की वजह से रघुराम राजन ने नहीं छोड़ा था रिजर्व बैंक…

SI News Today

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इस अनुमान को खारिज कर दिया है कि शिकॉगो विश्वविद्यालय द्वारा उनकी छुट्टियां नहीं बढ़ाने की वजह से उन्होंने केंद्रीय बैंक को अलविदा कहा था। उन्होंने कहा कि यह कभी मुद्दा नहीं थीं और वह रिजर्व बैंक में अधिक समय तक रहना चाहते थे जिससे बैंकों के बही खाते की साफसफाई के अधूरे काम को पूरा कर सकें। राजन ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा कि सरकार की ओर से उनका तीन साल का कार्यकाल बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं था। राजन का कार्यकाल पिछले साल चार सितंबर को समाप्त हुआ।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री 1992 से पहले ऐसे गवर्नर रहे हैं जिन्हें पांच साल का कार्यकाल नहीं मिला। राजन को पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन :संप्रग: सरकार में गवर्नर नियुक्त किया गया था। कई मौकों पर उनका सरकार के साथ वैचारिक मतभेद रहा। खरी-खरी बोलने के लिए प्रसिद्ध रहे राजन को 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बारे में उससे कई साल पहले भविष्यवाणी करने का श्रेय जाता है।

आर्थिक सुधारों के अलावा रिजर्व बैंक की स्वायत्तता तथा सामाजिक विषयों पर बोलने की वजह से वह कई लोगों की आंख की किरकिरी बन गए। वर्ष 2015 में उन्हें देश में बढ़ती असहिष्णुता पर विचार देकर विवाद खड़ा कर दिया। राजन की विदाई के बाद इस बारे में काफी शोरशराबा होने पर सरकार के हलकों से यह कहा गया कि उन्हें दो साल का विस्तार देने की पेशकश की गई थी, लेकिन शिकॉगो विश्वविद्यालय द्वारा छुट्टियां नहीं बढ़ाए जाने की वजह ऐसा नहीं किया जा सका।

इस पर राजन ने कहा, ‘‘मैं इसको पूरी तरह खारिज करता हूं। यह मुद्दा नहीं था। विश्वविद्यालय मेरे साथ काफी अच्छा है। वे मुझे जितनी मर्जी छुट्टियां देने को तैयार थे। राजन ने कहा कि उन्होंने सरकार का यह कहने के लिए दरवाजा नहीं खटखटाया था कि उन्हें विस्तार की जरूरत है। हालांकि, वह चाहते थे कि विस्तार मिले, जिससे वे बैंकिंग प्रणाली की डूबे कर्ज की समस्या का हल कर सकें।

SI News Today

Leave a Reply