लखनऊ: सीएचसी पर व निजी अस्पताल की मनमानी प्रसूता पर भारी पड़ गई। मोहनलालगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती न करने पर नवजात की गर्भ में ही मौत हो गई। वहीं निजी अस्पताल में डॉक्टर ने बगैर बताए ऑपरेशन कर दिया। इसके बाद परिजनों द्वारा मनमाना शुल्क न देने पर प्रसूता को जबरन वार्ड में रोक लिया गया, वहीं बच्चे का शव देने से इन्कार कर दिया। मामले की शिकायत एसडीएम से की गई है।
मोहनलालगंज के उत्तरगांव निवासी अंकित धीमान टैक्सी चालक है। उसकी पत्नी मानसी को शनिवार रात प्रसव पीड़ा हुई। ऐसे में वह मानसी को लेकर सीएचसी पहुंचे। आरोप है रात एक बजे ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने मानसी को भर्ती करने से मना कर दिया। हालत गंभीर होने का हवाला दिया, लेकिन सीएचसी के डॉक्टर ने भर्ती नहीं किया। काफी फरियाद करने पर भी डॉक्टर नहीं पसीजे।
आखिरकार हालत अधिक बिगड़ने पर मानसी को कस्बे के संजीवनी अस्पताल में भर्ती कराया गया। अंकित का आरोप है कि मानसी को डॉक्टर सीधे ऑपरेशन रूम में ले गए, जहां बगैर बताए ऑपरेशन कर दिया। वहीं बाद में बच्चे की मौत होने की खबर दी। नवजात की मौत सुनकर परिजन सदमे में आ गए। वहीं सोमवार को निजी अस्पताल में छह हजार रुपये जमा किए गए, लेकिन स्टाफ ने 2500 रुपये की और मांग की।
अंकित ने शेष पैसा न होने का हवाला दिया। यह सुनते ही स्टाफ भड़क गया। उसने नवजात का शव अंकित से छीन कर कब्जे में ले लिया। वहीं प्रसूता मानसी को भी डिस्चार्ज करने से इन्कार कर दिया।
स्टाफ ने घंटों जहां शव नहीं दिया, वहीं प्रसूता को भी जबरन रोके रखा। ऐसे में अंकित ने पैसे का जुगाड़ कर अस्पताल ने ढाई हजार रुपये जमाकर पत्नी को डिस्चार्ज कराया। अंकित ने सोमवार शाम को उप जिलाधिकरी संतोष कुमार सिंह के दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई। वहीं अंकित का कहना है कि यदि मानसी को सीएचसी में भर्ती कर समयगत इलाज मिल जाता तो उसके बच्चे की मौत नहीं होती।