Friday, March 29, 2024
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गंगा की खुदाई में,43.05 लाख रुपये के फर्जी बिल सामने आया.विभागीय जांच में इस बात का खुलासा..

SI News Today

गंगा में जहाजों का परिचालन सामान्य रूप से हो सके इसके लिए बालू की उड़ाही यानी ड्रेजिंग करके ढाई मीटर की गहराई बरकरार रखने का काम नियमित होता है। राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-एक के क्षेत्र में आने वाली गंगा की गई ड्रेजिंग में 43.05 लाख रुपये के फर्जी बिल से 70,500 लीटर डीजल खरीदने का फर्जीवाड़ा सामने आया है।

विभागीय जांच में इस बात का खुलासा होने के बाद भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के निदेशक अरुण कुमार मिश्र ने मुम्बई की कंपनी मेसर्स चिनार शिपिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ आलमगंज थाना में मामला दर्ज कराया है। रिपोर्ट की एक कॉपी आवश्यक कार्रवाई के लिए पोत परिवहन मंत्रालय भारत सरकार को भी भेजी गई है।

निदेशक अरुण कुमार मिश्र ने बताया कि अंतरदेशीय जल मार्ग, शिपिंग और नेविगेशन को बढ़ाने तथा राष्ट्रीय जलमार्ग के रख-रखाव की जिम्मेवारी भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण को सौंपी गई। राष्ट्रीय जलमार्ग एक अन्तर्गत इलाहाबाद से राजमहल तक होने वाले काम की निगरानी आइडब्लूएआइ के क्षेत्रीय कार्यालय पटना को सौंपी गई है।

अनुबंध के आधार पर मेसर्स चिनार शिपिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड मुंबई का चुनाव वर्ष 2011-12 में किया गया था। इस कंपनी को ड्रेजिंग इकाई का ऑपरेशन, रिपेयर, मेंटेनेंस व अन्य कार्य करना था। ड्रेजिंग इकाइयों के संचालन के लिए डीजल की आपूर्ति इस कंपनी को करनी थी।

निदेशक ने बताया कि प्राधिकरण द्वारा फर्म को भुगतान ड्रेजिंग इकाइयों की कार्य अवधि के अनुसार किया जाता था। कंपनी द्वारा खरीदे गये डीजल के प्रमाण के लिए बिल प्राधिकरण में जमा करना था। कंपनी ने डीजल का जो बिल जमा किया है उनमें से कुछ बिल फर्जी पाया गया।

शिकायत मिलने के बाद संबंधित तेल कंपनियों मेसर्स सत्यनारायण शाहपुर, उन्दी पटोरी, समस्तीपुर द्वारा 22.86 लाख से 37, 500 लीटर, मेसर्स भगीरथी सर्विस स्टेशन, बाढ़ द्वारा 3.65 लाख से 6,000 लीटर, मेसर्स बालाजी फ्यूल्स, जंदाहा द्वारा 12.94 लाख से 21,000 लीटर तथा मेसर्स केसीडॉ एंड ब्रदर्स प्रा.लिमिटेड कोलकाता द्वारा 3.60 लाख से 6,000 लीटर डीजल खरीदे जाने की जांच की गई।

इस क्रम में पता चला कि जमा किए गए बिलों में से कुछ बिल इन डीलरों द्वारा निर्गत ही नहीं किये गए हैं। कंपनी को पत्र देकर जबाव मांगने पर संतोषप्रद जबाव नहीं मिला। निदेशक ने बताया कि इस मामले की जांच करने वाले विभाग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की एक प्रति पोत परिवहन मंत्रालय भारत सरकार को भेजी गई। रिपोर्ट अध्ययन के बाद मंत्रालय ने पाया कि कांट्रैक्टर मेसर्स चिनार शिपिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने प्राधिकरण के साथ फर्जी बिल जमा कर धोखाधड़ी किया है।

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