भारत वर्ष में मनाए जाने वाले सारे त्योहार किसी ना किसी रुप में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं, लेकिन उनमें सबसे मुख्य त्योहार दशहरा है। हिंदू पंचाग के अनुसार अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी कहा जाता है। ये हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दशहरा यानि विजयदशमी जिसका अर्थ है विजय का दिन। हिन्दुओं में दशहरा का पर्व को बहुत अहम माना जाता है।
इस पर्व को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। दशहरा का अर्थ है दसवीं तिथि, ये नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है। दशहरा हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंनें लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिये भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 21 सितंबर से शुरु हुए और 29 सितंबर को महानवमी के बाद उनका समापन किया जाएगा। फिर दसवें दिन 30 सितंबर 2017 को दशहरा है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दशहरा अश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर महीने के दौरान आता है। इस पर्व को भारत में बहुत ही उत्साह के साथ से मनाया जाता है, हर राज्य में इसे विभिन्न-विभिन्न पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ इस पर्व को मनाने की प्रथा है। दशहरा नौ दिनों से जारी दुर्गा पूजा समारोह की समाप्ति का प्रतीक है। दक्षिण भारत में इस दौरान देवी दुर्गा और देवी चामुंडेश्वरी की पूजा की जाती है, जिन्होंने लोगों की रक्षा के लिए असुरों की सेना को चामुंडा की पहाड़ियों में युद्ध कर पराजित किया था। इस दौरान देवी दुर्गा के साथ देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा भी की जाती है। वहीं दशहरा के दिन लोग मां दुर्गा की मूर्तियों का विधि-विधान के साथ विसर्जन भी करते हैं।
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन यानि विजयदशमी 30 सितंबर 2017 को मनाई जा रही है। इस वर्ष 29 सितंबर की रात से ही दशमी तिथि का प्रारंभ हो जाएगा और 1 अक्टूबर 1 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। आप जो भी शुभ काम नवरात्रि में करना चाहते हैं वो नवमी की रात 11 बजे से पहले निपटा लें तो वो शुभ होगा क्योंकि उसके पश्चात दसवें दिन की शुरुआत हो जाएगी। हिन्दु धर्म में दशहरा यानी विजय-दशमी एक ऐसा त्योहार है जिस दिन क्षत्रिय शस्त्र-पूजा करते हैं जबकि ब्राह्मण उसी दिन शास्त्र-पूजा करते हैं।