लखनऊ: दस की लाठी एक का बोझ…। छोटे बच्चे तो किताबों में यह कहावत पढ़कर सहयोग की भावना सीखते होंगे लेकिन, काले धन के बड़े कारोबारियों ने अर्थ का अनर्थ करते हुए कहावत ही उलट दी। उन्होंने अपनी दस लाठियां काङ्क्षरदों में ऐसी सफाई से बांट दी कि न वे पकड़ में आए न लाठियां। काले कारोबारियों में से कुछ ने लेटरबॉक्स और शेल (फर्जी) कंपनियों में काला धन बांट कर ठिकाने लगा दिया तो कुछ ने इसी काम का तरीका बदल कर अपने कर्मचारियों में काला धन बांट कर बैैंकों तक पहुंचा दिया। अब लगभग एक साल बाद आयकर विभाग ने प्रदेश के ऐसे करीब 300 कारोबारियों की सूची तैयार कर ली है।
पिछली दीपावली आप भूले नहीं होंगेे, जब पर्व के एक हफ्ते बाद ही अचानक नोटबंदी लागू कर दी गई थी। 31 दिसंबर तक पुराने नोट जमा करने की मोहलत के दौरान बैैंकों के बाहर लगी लंबी कतारें और काला धन ठिकाने लगाने की कोशिशें भी आपको याद होंगी। जेहन में कहीं यह भी ताजा होगा कि आयकर विभाग तब सिर्फ कुछ ऐसे ही मामले पकड़ पाया था, जिसमें रियल इस्टेट या महंगी गाडिय़ों में काला धन खपाने की कोशिशें की गई थीं, जबकि लेटरबॉक्स व शेल कंपनियां तब आयकर की पकड़ से बाहर रह गई थीं। कर्मचारियों के व्यक्तिगत खातों में जमा हो रहे कारोबारियों के काले धन को पहचान पाना भी तब आयकर के लिए संभव नहीं हो पाया था। यही वजह रही कि नोटबंदी के दौरान जिस काले धन के स्वत: खत्म होने की उम्मीद थी, वह बैैंकों में पहुंच गया और पकड़ में भी नहीं आया।
अब एक साल की मेहनत, दाखिल हुए आयकर रिटर्न और बैैंक खातों के विवरण के मिलान से आयकर की जांच शाखा ने प्रदेश के ऐसे करीब 300 बड़े कारोबारी चिह्नित कर लिए हैैं, जिन्होंने अरबों रुपये का काला धन कई तरकीबों से बैैंकों में पहुंचाया और फिर निकाल कर उसे नए नोटों में बदल कर छिपा लिया। आयकर के उपनिदेशक जांच जयनाथ वर्मा बताते हैैं कि आगरा में जिन खाद्य तेल कारोबारियों के यहां से 101 करोड़ रुपये का काला धन बरामद हुआ है, उनका नाम भी इस सूची में शामिल था। वर्मा बताते हैैं कि महानिदेशक आयकर जांच आशू जैन और प्रधान आयकर निदेशक असीम कुमार से निर्देश मिलने के साथ ही इस सूची पर काम शुरू हो गया है।
लखनऊ सहित कई जिलों में पड़ेंगे छापे
आयकर विभाग एक साल में औसतन 150 छापे या सर्च की कार्रवाई करता है। अधिकारियों ने बताया कि अब यह कार्रवाई नोटबंदी के काले कारोबारियों पर की जानी है। इसके लिए जिन कारोबारियों को चिन्हित किया गया है, उन्हें नोटिस भेज कर जबाव तलब किया जा रहा है। इसी जवाब के आधार पर छापे या जांच की कार्रवाई तय की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि इस सूची में लखनऊ व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ रियल इस्टेट कारोबारी हैैं, कानपुर का एक पान मसाला कारोबारी है और कई अन्य जिलों के व्यापारी भी हैैं।
ऐसे आए पकड़ में
नोटबंदी के बाद बड़े कारोबारियों ने फर्जी व्यापारिक लेनदेन दिखाते हुए अपना काला धन कई बोगस कंपनियों के खातों में धीरे-धीरे पहुंचाया और फिर इसी तरकीब से वापस लेकर काले धन को सफेद बना दिया। आयकर अधिकारियों ने जब इन बोगस कंपनियों को निशाने पर लिया तो बैैंक खातों की पड़ताल से लेनदेन की असलियत खुलती चली गई।