Saturday, April 20, 2024
featuredदेश

मोदी को आरोपी बनाने की मांग कर रही जकिया जाफरी की याचिका खारिज…

SI News Today

गुजरात हाईकोर्ट ने जकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी बनी एसआईटी द्वारा तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और टॉप नौकरशाहों को गुजरात दंगों के आरोपों से बरी होने पर चुनौती दी थी। कोर्ट ने जकिया जाफरी के उन आरोपों को स्वीकार नहीं किया जिसमें उन्होंने अपने पति और कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की हत्या को एक बड़ा षडयंत्र बताया था। 28 फरवरी 2002 को उग्र भीड़ ने अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में हमला कर दिया था, जिसमें 69 लोग मारे गए थे। मरने वालों में पूर्व कांग्रेस सांसद भी शामिल थे। गौरतलब है जकिया जाफरी ने साल 2014 में हाईकोर्ट में निचली अदालत के उस फैसले के खिलाफ गुहार लगाई थी जिसमें एसआईटी की रिपोर्ट को स्वीकार किया था। साल 2015 में मामले में सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान एसआईटी के वकील ने रिपोर्ट का बचाव करते हुए कहा कि पहले ही शीर्ष अदालत द्वारा रिपोर्ट की समीक्षा की जा चुकी है।

गौरतलब है कि गुजरात दंगा मामले की एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ जकिया जाफरी और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस ने याचिका दायर की थी। आरोप लगाया कि तत्कालीन सूबे की मोदी सरकार ने हिंसा के वक्त अपनी आंखें बंद कर ली थीं। इसलिए मोदी और अन्य 58 लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाए। लेकिन साल 2013 में एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ निचली अदालत ने जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में गुहार लगाई।

गौरतलब है कि गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में अधिकतकर मुस्लिमों की जान गई थी। यहां 29 बंगले और 10 अपार्टमेंट अधिकतर मुस्लिम परिवारों के ही थे। गुलबर्ग नरसंहार गुजरात के दस बड़े हिंसक कांड में से एक था। जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी ने की थी। वहीं जकिया जाफरी का आरोप है कि गुलबर्ग सोसायटी पर हमले के वक्त उनके पति एहसान जाफरी ने सूबे के सीनियर नेताओं और वरिष्ठ राजनेताओं को फोन किया था। लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका।

SI News Today

Leave a Reply