नांदेड़ महानगर पालिका चुनाव में कांग्रेस में मिली जीत के पीछे छत्रपति शिवाजी की नीति का हाथ है? पिछले कुछ सालों में पंजाब विधान सभा चुनाव छोड़ कर बहुत कम मौकों पर चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस जश्न मना पायी है। ऐसे में गुरुवार (12 अक्टूबर) को आए नांदेड़-वाघला महानगर पालिका (एनडबल्यूसीएमसी) चुनाव के नतीजों से कांग्रेसियों का गदगद होना स्वाभाविक है। कांग्रेस ने नांदेड़ महानगर पालिका की कुल 81 में से 73 पर जीत हासिल की है। वहीं राज्य में सत्ताधारी बीजेपी को केवल छह सीटों पर जीत मिली है। सत्ता में बीजेपी की साझीदार शिव सेना को एक सीट पर विजय मिली और एक सीट निर्दलीय को मिली। शरद पवार की एनसीपी और असददुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम नांदेड़ महानगर पालिका में अपना खाता भी नहीं खोल सके।
नांदेड़ महानगर पालिका चुनाव की कमान महाराष्ट्र के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के हाथों में थी। माना जा रहा है कि इस चुनाव में कांग्रेस ने छत्रपति शिवाजी के तीन एम ( मराठा, मुस्लिम और मौड) के सूत्र को आजमाकर चुनावी जीत हासिल की है। माना जाता है कि शिवाजी ने अपने साम्राज्य में शांतिपूर्वक राज करने के लिए इन तीनों समुदायों पर विशेष ध्यान दिया था। जिस तरह नांदेड़ में बीजेपी और मीम दोनों पार्टियों को जनता ने नकारा है उसे देखते हुए राजनीतिक जानकार मान रहा है कि स्थानीय जनता ने धार्मिक आधार पर मतदान से परहेज किया। कांग्रेस दावा कर रही है बीजेपी और ओवैसी की पार्टी के सांप्रादायिक ध्रुवीकरण की कोशिश के जवाब में ही जनता ने धर्मनिरपेक्ष दल को वोट दिया।
ये नतीजे इसलिए भी कांग्रेस के लिए ज्यादा उत्साह बढ़ाने वाले हैं क्योंकि महाराष्ट्र के मौजूदा सीएम देवेंड्र फड़नवीस के चुनाव में काफी प्रचार किया था। साल 2012 में नांदेड़ महानगर पालिका के चुनाव में कांग्रेस को केवल 41 सीटें मिली थीं, शिव सेना ने 12 और एआईएमआईएम ने तीन और बीजेपी ने दो सीटें जीती थीं। बीजेपी की परेशान ये है कि जब इस महानगर पालिका में उसकी चिरप्रतिद्वंद्वी ने अपनी ताकत लगभग दोगुनी कर ली है और इस चुनाव का संदेश प्रदेश और देश के दूसरे चुनावों में कांग्रेस को नैतिक बल दे सकता है।