लखनऊ: गोमती नगर विपिनखंड स्थित लखनऊ विकास प्राधिकरण की चौथी मंजिल पर स्थित रिकार्ड रूम में शनिवार देर रात आग लग गई। इस हादसे में समायोजन घोटाले, संपत्तियों से जुड़ी हजारों फाइलें जलकर राख हो गईं। जिस वक्त आग लगी, तब मौके पर एक निजी कंपनी राइटर के कर्मचारी थे।
इस कंपनी को एलडीए ने दस्तावेजों को स्कैन करने का काम दिया है। कर्मचारियों की मौजूदगी में आग बढ़ती गई और दमकल को सूचना करीब पौन घंटे बाद दी गई। तब तक यहां ज्यादातर फाइलें जल चुकी थीं। आग लगने का सीधा संदेह कंपनी के कर्मचारियों पर जताया जाता रहा। बताया जा रहा है कि कंप्यूटर के यूपीएस सिस्टम के अत्यधिक गर्म होने के बाद शार्टसर्किट से आग लगी। सर्किल फायर ऑफिसर (सीएफओ) ने खुद माना कि आग लगने के कारण कुछ संदिग्ध लग रहे हैं।
प्राधिकरण बिल्डिंग की चौथी और छठी मंजिल पर स्थापित रिकार्ड रूम एलडीए की आत्मा है। यहां सभी तरह की फाइलें रखी जाती हैं। जब किसी संपत्ति की रजिस्ट्री और कब्जा हो जाता है तब यहां फाइल रख दी जाती है। इसी तरह से किसी टेंडर की फाइल भी काम और भुगतान के बाद रिकार्ड रूम में ही पहुंचती है। यहां फाइलों को स्कैन कर के उनको डिजिटल करने का काम किया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी पिछली सरकार में राइटर कंपनी को दी गई थी।
एलडीए के उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह कहते हैं, यह एक हादसा है, जिसमें तीन चौथाई हिस्से को बचा लिया गया। रिकार्ड रूम अंदर से बंद था। राइटर कंपनी के कर्मचारियों ने आग बुझाने की काफी कोशिश की। उनके एक कर्मचारी का हाथ भी जल गया। जो फाइलें जली हैं, उनमें से अधिकांश की स्कैन फाइलें हमारे पास हैं।
एलडीए सचिव जयशंकर दुबे ने बताया कि रात तीन बजे आग लगने की सूचना उनको मिली। जिसके बाद सिक्योरिटी के लोग ऊपर पहुंचे। जबकि सर्किल फायर ऑफिसर (सीएफओ) अभयभान पांडेय ने बताया कि फायर कंट्रोल रूम में एलडीए से सूचना सुबह करीब 3:42 बजे दी गई।
सूचना मिलने के बाद 20 मिनट में हजरतगंज, इंदिरा नगर और गोमती नगर से चार दस्ते रवाना हुए थे। निजी कंपनी के कर्मचारियों को दमकल विभाग का 101 नंबर तक नहीं पता था। उन्होंने काफी समय तो इंटरनेट से नंबर ढूंढने में लगा दिया। टीम ने करीब 45 मिनट में आग पर काबू पा लिया था।