Friday, April 19, 2024
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केंद्र सरकार: राज्य के जिला अस्पतालों में मुफ्त कीमोथेरेपी के लिए दी हरी झंडी…

SI News Today

लखनऊ: कैंसर रोगियों को इलाज में राहत मिलेगी। उन्हें कीमोथेरेपी के लिए टर्शीएरी सेंटरों (वह सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल जहां इलाज की सभी विशेष सुविधाएं उपलब्ध होती हैं) की भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। केंद्र सरकार ने राज्य के जिला अस्पतालों में मुफ्त कीमोथेरेपी के लिए हरी झंडी दे दी है। पहले चरण में दस जिला चिकित्सालयों का चयन किया गया है। वहीं, शेष 65 चिकित्सालयों को द्वितीय चरण में शामिल किया जाएगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने कैंसर रोगियों के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए जिला स्तर पर ही मरीजों की कीमोथेरेपी करने का प्लान बनाया है। केंद्र सरकार ने इसके प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। यही नहीं, केंद्र ने दवाओं आदि के लिए 10 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए हैं।

डॉक्टर ले चुके प्रशिक्षण: राजधानी के सिविल अस्पताल के डॉ. विवेक दुबे, आगरा के डॉ. पीयूष जैन, इटावा के डॉ. नीरज जैन, कन्नौज के डॉ. रविंद्र साही, कौशांबी के डॉ. विवेक केसरवानी, महाराजगंज के डॉ. अजय मोहन, मैनपुरी के डॉ. धर्मेद्र, झांसी के डॉ. डीसी गुप्ता, फैजाबाद के डॉ. शिशिर श्रीवास्तव व हापुड़ के डॉ. अभिषेक कीमोथेरेपी का प्रशिक्षण ले चुके हैं। इन्हें दिल्ली के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश पंडेरकर ने प्रशिक्षण दिया है।

वयस्कों के कैंसर पर फोकस: इसमें वयस्क मरीजों में होने वाले कैंसर को शामिल किया गया है। मसलन ओरल, लंग, प्रोस्टेट, एब्डॉमिन कैंसर व महिलाओं में ब्रेस्ट, सर्विक्स व यूट्रेस कैंसर। बच्चों को बाहर रखा गया है।

ऐसे होगा इलाज: बीमारी की पुष्टि टर्शियरी सेंटर पर होगी। इसके बाद आन्कोलॉजिस्ट सर्जरी, रेडियोथेरेपी व कीमोथेरेपी का फैसला होगा। जरूरतमंद को दवा लिखकर जिला अस्पताल भेज दिया जाएगा। जहां कीमोथेरेपी होगी। सूची में कैंसर की 30-40 दवाएं भी शामिल हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी: एनएचएम, डीजीएम एनसीडी प्रोग्राम के डॉ. अमरेश बहादुर कहते हैं, केंद्र सरकार ने मुफ्त कीमोथेरेपी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए बजट भी जारी कर दिया गया। सीएमएसडी को दवाओं की रेट कॉन्ट्रेक्ट सूची जारी करने का पत्र भेजा गया है, ताकि अस्पताल दवा खरीद सकें।

फैक्ट फाइल:
– देश में करीब 30 लाख कैंसर के मरीज व यूपी में एक लाख 60 हजार।
– हर वर्ष बढ़ रहे 11-12 लाख नए मरीज।
– अस्पताल पहुंच रहे छह से सात लाख मरीज।
– अस्पताल पहुंचने वालों में 80 फीसद थर्ड व फोर्थ स्टेज के मरीज।
– सिर्फ 20 फीसद मरीज पहुंचते हैं अर्ली स्टेज में अस्पताल।
– कैंसर से हर वर्ष करीब छह लाख लोगों की हो रही मौत।

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