Tuesday, April 16, 2024
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यूपी: मुस्लिम महिलाओं का सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करना नाजायज…

SI News Today

दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिम महिलाओं के सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने या शेयर करने को हराम बताया है। दारुल इफ्ता मंजर-ए-अदालत (फतवा विभाग) ने इस मामले से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा- मुस्लिम महिलाओं का सोशल साइट्स पर खुद का फोटो शेयर करना नाजायज है। अगर कोई ऐसा करना है तो उसके खिलाफ फतवा भी जारी हो सकता है।

इस्लाम महिलाओं की फोटो लगाने की इजाजत नहीं देता
– देवबंद के इफता यानि फतवा विभाग से एक शख्स ने पूछा था- ‘क्या फेसबुक और वॉट्सऐप पर अपना या पत्नी का फोटो अपलोड या शेयर करना इस्लाम में जायज है?’

– इसके जवाब में फतवा विभाग ने कहा- ‘मुस्लिम महिलाओं के फोटो सोशल साइट्स पर अपलोड या शेयर करना इस्लाम के तहत नाजायज है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ फतवा जारी किया जा सकता है।’

– देवबंद के फतवा विभाग के तारिक कासमी ने कहा कि इस्लाम महिलाओं की फोटो लगाने की इजाजत नहीं देता है। इसीलिए सोशल साइट पर मुस्लिम महिलाओं को फोटो अपलोड नहीं करना चाहिए।

दुनिया भर के मुस्लिमों के लिए है फतवा
– मदरसा जामिया हुसैनिया के मुफ्ती तारीख कासमी ने कहा- ये फैसला दुनिया भर के मुस्लिमों के लिए है। सोशल मीडिया पर पूरे विश्व के लोग आपस में जुड़े हैं।

– इस्लाम के मुताबिक फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल साइट्स पर अपनी या बीवी या किसी गैर महिला की फोटो अपलोड करना और शेयर करना जायज नहीं है।

5 साल पहले भी जारी हुआ था फतवा
– इससे पहले 2012 में उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में दरगाह आला हजरत के एक मदरसे ने भी फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर फोटो अपलोड करने को नाजायज करार दिया था।

– उस वक्त इजहार नाम के शख्स ने मदरसा मंजर-ए-इस्लाम के फतवा विभाग से इसको लेकर सवाल किया था। उस वक्त मुफ्ती सैयद मोहम्मद कफील ने कहा था कि इस्लाम में तस्वीर को नाजायज करार दिया गया है। इंटरनेट पर फोटो अपलोड करना हराम है।

राम की आरती करने वाली महिलाएं इस्लाम से खारिज
– इससे पहले दारुल उलूम ने वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं द्वारा भगवान राम की आरती करने और उनके चित्र के समक्ष दीए जलाकर पूजा करने को लेकर महिलाओं को इस्लाम मजहब से भी खारिज कर दिया था।

– साथ ही इन महिलाओं को अल्लाह से माफी मांग कर दोबारा से कलमा पढ़ इमान में दाखिल होने की बात कही थी।

– दारुल उलूम ज़करिया के वरिष्ठ उस्ताद कहा था कि मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत कर सकता है। जिन महिलाओं ने दूसरे मजहबी अकीदे को अपनाते हुए यह सब क्रियाएं की हैं वह इस्लाम मजहब से भी खारिज हैं। क्योंकि इस्लाम मजहब में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे मजहब के साथ मोहब्बत और नरमी तो बरती जा सकती है, लेकिन पूजा नहीं की जा सकती है।

– इसलिए बेहतर है कि वह अपनी गलती मानकर दोबारा कलमा पढ़कर इमान में दाखिल हों।

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