हमारे देश में सभी को आजाद रहने का अधिकार है वावजूद इसके देश में एक तबका ऐसा भी है जिन्हें अलग तरह से देखा जाता है। हम बात कर रहे हैं LGBT कम्युनिटी यानी बाइसेक्सुअल या ट्रांसजेंडर की। इस तबके के लिए आजाद देश के आजाद नागरिकों की समझ कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। इन्हें आज भी एक आम इंसान के रूप में नहीं देखा जाता न ही इन्हें इंसान समझा जाता है। लेकिन क्या आपने सोचा है अगर कोई राजा बाइसेक्सुअल या ट्रांसजेंडर है तो उसके साथ भी ऐसा भी बर्ताव होता होगा? चलिए आज हम बताते हैं एक गे राजा के बारे में। आखिर उसके साथ कैसा बर्ताव किया गया था।
दरअसल हम बात कर रहे हैं भारत के पहले गे राजकुमार कहे जाने-वाले मानवेंद्र सिंह गोहिल की। इससे पहले बता दें कि कुछ चीजें इंसानी हदों से परे होती हैं, हमारा मर्द होना या औरत होना या लेस्बियन होना या गे होना या बाइसेक्सुअल होना या फिर ट्रांसजेंडर होना हम नहीं तय कर सकते ये एक प्राकृतिक नियम है और इसी के अंदर हमारा जन्म होता है। कोई इंसान अपनी मर्जी से गे, लेस्बियन, बाइसेक्सुअल या ट्रांसजेंडर नहीं बनता। ऐसा नहीं है कि ये बात लोग जानते नहीं बल्कि जानने के बाद भी LGBT कम्युनिटी के लोगों को देखकर भेदभाव किया जाता है। कुछ ऐसा ही राजा मानवेंद्र के साथ भी हुआ था।
मानवेंद्र सिंह गोहिल गुजरात के राजपीपला के राजकुमार हैं और साथ में एक ‘गे’ भी। मानवेंद्र, महाराणा श्री रघुबीर सिंहजी राजेंद्रसिंहजी साहिब के इकलौते बेटे हैं। उनका बचपन भी और राजकुमारों जैसा ही था शाही ठाट-बाट और सुविधाओं से लैस। लेकिन जब साल 1991 में उनकी शादी झबुआ की राजकुमारी चंद्रिका से हुई तो वो खुश नहीं थे। शादी के बाद भी उनकी पत्नी ये बात समझ गई थी कि वो गे हैं। इस वजह से उन्होंने शादी के एक साल बाद ही राजा मानवेंद्र से तलाक ले लिया था और जाते-जाते सलाह दी थी कि किसी दूसरी लड़की से भी शादी मत करना।
इस वाकया के बाद मानवेंद्र का मनोबल टूट गया और वो बीमार भी हो गए। जब साल 2002 में बीमारी के चलते मानवेंद्र को डॉक्टर के पास ले जाया गया तब डॉक्टर ने मानवेंद्र की सच्चाई उनके परिवार को बताई। ये सच जानकर मानवेंद्र के परिवार की पैरों की जमीन खिसक गई, उनके लिए इस बात का यकीन करना मुश्किल हो गया था। मानवेंद्र को नॉर्मल बनाने के लिए परिवार ने पैसा पानी की तरह बहा दिया, पूरा जोर लगा दिया। लेकिन आखिर में जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो अब परिवार ने भी उन्हें अकेले रहने का फरमान सुना दिया। वही मानवेंद्र ने भी इसका विरोध नहीं किया।
साल 2006 मानवेंद्र सिंह की जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण साल रहा। अगर साल 2006 को मानवेंद्र की जिंदगी में मील का पत्थर माना जाए तो गलत नहीं होगा। क्योंकि इस साल ही उन्होंने पहली बार एक इंटरव्यू में सभी को अपने गे होने की बात बताई थी। इसके बाद मानवेंद्र के मन से झिझक निकल चुकी थी। जिसकी वजह से साल 2007 में दुनियाभर में मशहूर टॉक शो ओपन विनफ्रे की तरफ से आए इनविटेशन को उन्होंने कबूल किया और रातों-रात स्टार बन गए।
बाद में बीबीसी ने साल 2008 में राजकुमार मानवेंद्र सिंह गोहिल पर पूरी स्टोरी की और इंटरव्यू लिया। मानवेंद्र की तारीफों के पुल के हर कोई बांधता है। अपनी दिमागी गुलामी से खुद को आजाद कर राजकुमार ने अपने आपको साबित किया। आज मानवेंद्र लक्ष्य फाउंडेशन के जरिए एलजीबीटी समुदाय के लोगों की मदद करते हैं और उन्हें उनका हक दिलाने की पूरी कोशिश करते हैं।