सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) के आंदोलनकारी विद्यार्थियों ने इसकी निदेशक देबमित्र मित्रा का शनिवार सुबह तक घेराव किया, लेकिन उन्होंने संस्थान से 14 छात्राओं के निष्कासन को बेशर्त रद्द करने की मांग स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
गौरतलब है कि 14 छात्राओं का निष्कासन होने के चलते 17 अक्तूबर से संस्थान के परिसर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। मित्रा ने बताया कि आंदोलनकारी विद्यार्थियों ने शुक्रवार शाम घेराव किया जब वह परिसर से निकलने वाली थीं। घेराव रात दो बजे तक जारी रहा।
उन्होंने कहा कि 14 छात्राओं के निष्कासन को बेशर्त रद्द करने की मांग स्वीकार करने की संभावना नहीं है। मित्रा ने कहा, ‘‘यदि वे एक साल भी मेरा घेराव करेंगे तो भी हम उनकी मांग स्वीकार नहीं कर सकते। मैं सोमवार को परिसर में जाउंगी। यदि वे मेरा घेराव करना चाहते हैं तो उन्हें करने दीजिए।’’ आंदोलनकारी विद्यार्थियों की मांग में बुनियादी ढांचे का उन्नयन और बजट में वृद्धि भी शामिल है।
विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि छात्राओं के लिए अलग हॉस्टल बनाना नैतिक पहरेदारी है। मित्रा ने कहा कि लड़कियों को नए हॉस्टल में भेजने का उद्देश्य उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि साल 2013 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद हमने लड़कियों के लिए एक नई इमारत का निर्माण कराया। उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले एसआरएफटीआई में आंदोलनरत छात्रों के एक वर्ग ने संस्थान की निदेशक को परिसर में घुसने नहीं दिया था। इस पर निदेशक देबमित्रा ने पीटीआई को बताया था कि छात्रों ने हमें परिसर के अंदर नहीं आने दिया। इन सभी की दो मांगें हैं कि 14 छात्राओं का निष्कासन और लड़कियों के लिये छात्रावास अलग करने का मामला रद्द किया जाए।