Tuesday, April 16, 2024
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ATS से मिले इनपुट पर संवेदनशील कस्बों में होगी पासपोर्ट की चेकिंग…

SI News Today

लखनऊ: यूपी के देवबंद में लगातार आंतकी गतिविधियों की सूचनाओं के बाद अब यूपी पुलिस ने संवेदनशील कस्बों में रहने वाले सभी लोगों के पासपोर्ट का वेरिफिकेशन किया जाएगा। डीआईजी एस इमैनुअल ने कहा, “अभी जांच करायी जाएगी। यह चेकिंग अभियान सिर्फ देवबंद या किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं है। एटीएस से मिले इनपुट के आधार पर जांच करायी जाएगी। एसएसपी को निर्देश दिए गए हैं कि दो से तीन दिनों में जांच की शुरुआत की जाए।” देवबंद के पते पर मिले थे पासपोर्ट

– UP ATS ने हाल ही में दो बांग्लादेशी संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। उनके पास देवबंद के पते का पासपोर्ट मिला था। इसके अलावा विदेशी छात्रों के दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी। सैकड़ों विदेशी छात्र देवबंद के दारुल उलूम में पढ़ते हैं।

– अगस्त में मुजफ्फरनगर से एक बांग्लादेशी संदिग्ध आतंकी पकड़ा गया था। उसका पासपोर्ट सहारनपुर के पते पर बना था। पुलिस देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकती। इसलिए इन इलाकों के सभी पासपोर्ट रखने वाले लोगों के दस्तावेजों की जांच करेगी ताकि ऐसे लोगों को पकड़ा जा सके।

-अगस्त में ही यूपी एटीएस ने बांग्लादेशी नागरिक अब्दुल्ला अल मामून को पकड़ा था। वह आंतकवादी संगठन अंसर्रुल्ला बांग्ला टीम का सदस्य था। अब्दुल्ला देवबंद में पिछले कई सालों से रह रहा था। उसे मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किया गया था। उसके कई साथी भी बाद में इलाके से उठाए गए थे।

-5 अक्टूबर को यूपी एटीएस ने एक भगौड़े आंतकवादी फैजान अहमद के लिए इलाके में एक ऐलान कराया था। जान पर आरोप है कि वह युवाओं को आंतकवादी संगठनों से जोड़ने का काम करता है। वह यूपी में ऐसा करने वाला एक प्रमुख शख्स है। एटीएस ने मुजफ्फरनगर से अब्दुल्ला मामून को गिरफ्तार किया था। उसके बाद सहारनपुर में फैजान के घर में छापा मारा। एटीएस को फैजान के घर से ISIS का साहित्य मिला था।

11 अक्टूबर को सीएम योगी ने ली थी मीटिंग
-11 अक्टूबर को सीएम योगी ने पुलिस अफसरों के साथ लॉ एंड ऑर्डर को लेकर एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशी युवकों की पहचान कर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था।

प्रमुख सचिव ने सभी जिलों के डीएम को लिखी थी चिट्ठी
– इसके बाद से प्रमुख सचिव अरविंद कुमार की तरफ से सभी डीएम को भेजे गए पत्र में कहा गया था- “उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए जिन्होंने अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों को देश का पहचान पत्र बनवाने में उनकी मदद की। पुलिस के अवैध तरीके से यहां रह रहे लोगों के फिंगरप्रिंट लेकर राज्य फिंगरप्रिंट ब्यूरो को भेजने को कहा गया है।”

यूपी में 2 करोड़ संदिग्ध बांग्लादेशी, लखनऊ में भी एक लाख की संख्या : सूत्र
सूत्रों के अनुसार, यूपी के कई ऐसे जिले हैं, जहां की झुग्गी-झोपड़ी में बांग्ला भाषा बोलने वाले खुद को असमी बताकर संदिग्ध पैमाने पर बांग्लादेशी रह रहे हैं।

-“राजधानी में करीब 50 हजार की संख्या में संदिग्ध बांग्ला बोलने वाले मिले हैं। वहीं, इलाहाबाद में 35 हजार, वाराणसी में 15 हजार और कानपुर में यह संख्या 45 हजार के करीब बताई जा रही है। फिलहाल यूपी के अन्य जिलों में भी संदिग्ध बांग्लादेशियों की जांच चल रही है।”

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