शिमला: हिमाचल प्रदेश की सियासत के दिग्गज नेता और कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इस बार अपनी परंपरागत सीट के बजाय सोलन के जिले की अर्की विधानसीट सीट से किस्मत आजमाने उतरे हैं. इस बार उन्होंने अपनी परंपरागत शिमला ग्रामीण सीट अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिये छोड़ दी है. शिमला से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अर्की से चुनाव लड़ रहे वीरभद्र सिंह के खिलाफ भाजपा के रतन सिंह पाल मैदान में हैं.
अर्की इससे पहले बघेल की रियासत थी. राज्य में छह बार से मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह को भ्रष्टाचार के आरोपों एवं अन्य मुद्दों पर घेरने के लिये भाजपा ने अर्की में प्रचार के लिये अपने दिग्गज प्रचारकों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के प्रदेश प्रभारी मंगल पांडे को नियुक्त किया है. जीत को लेकर लगभग पूरी तरह आश्वस्त 83 वर्षीय कांग्रेस के दिग्गज नेता ने अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद से विधानसभा क्षेत्र का दौरा तक नहीं किया है और नौ नवंबर को होने वाले चुनाव के लिये वह राज्य के अन्य जिलों में प्रचार कर रहे हैं. उत्साहित कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दावा है कि अर्की में जीत से आस-पास के विधानसभा क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ेगा.
भाजपा ने दो बार से विधायक रहे गोविंद राम शर्मा को टिकट देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कुछ मनमुटाव होने का दावा किया था. बहरहाल पिछले दो विधानसभा चुनावों में गैर कांग्रेसी उम्मीदवार चुनाव जीते और वीरभद्र सिंह ने भी इससे पहले संकेत दिया था कि वह अर्की से चुनाव लड़ सकते हैं और इस विधानसभा क्षेत्र में कई विकास कार्य करेंगे.
जयनगर, दिग्गल और दर्लाघाट में तीन कॉलेजों को खोलने और अर्की में सिविल अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाकर इसे 100 बिस्तरों वाला अस्पताल करना ऐसे ही कुछ कदम थे.