Tuesday, April 16, 2024
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रिश्वत की अॉडियो टेप, सुनकर न्यायाधीश ने पूछा,रक्षक भी बन सकता है भक्षक..

SI News Today

निकृष्ट निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए रक्षक भी भक्षक बन सकता है। इस प्रकार के घृणित कार्य की किसी लोग सेवक से अपेक्षा नहीं की जा सकती। यह तल्ख टिप्पणी एसीजेएम प्रथम धीरेंद्र मिश्रा ने की है।

उनके सामने एमएच नगर थाना में पदस्थापित एएसआइ रामनाथ द्वारा एक केस को सलटाने के लिए मांगी गई रिश्वत की अॉडियो टेप पेश की गई तो उन्होंने 19 मिनट की इस रिकॉर्डिंग को गौर से सुना और यह टिप्पणी करते हुए एसपी को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तिथि तय की है।

मामला एमएच नगर थाना क्षेत्र के सेमरी गांव निवासी शम्स तबरेज से जुड़ा है। गत 13 सितंबर को तबरेज दवा खरीदने के लिए कार से हसनपुरा जा रहे थे। रास्ते में भीड़ देख रुके। वहां एक महिला घायल पड़ी थी। लोगों के निवेदन पर वे उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए राजी हुए। इसी बीच महिला की मौत हो गई।

फिर ब्लॉक प्रमुख रजिया खातून के देवर सह प्रतिनिधि नोमान अहमद उर्फ पप्पू, एकलाख अहमद, अतिया अहमद, फिरोज खान तथा चार-पांच अन्य लोगों ने यह कहते हुए शम्स को मारना-पीटना शुरू कर दिया कि इनकी ही गाड़ी से कुचल कर महिला की मौत हुई है। बाद में माहौल शांत होने पर ये थाना में एफआइआर कराने के लिए आवेदन देने गए।

आरोप है कि थानाध्यक्ष ने आवेदन लेने से मना कर दिया। काफी दबाव के बाद प्राथमिकी दर्ज करते समय नोमान सहित अन्य को बुलवा लिया। शम्स का कहना है कि थानाध्यक्ष ने मेरी एफआइआर दर्ज करने के बाद महिला की मौत के मामले में मेरे खिलाफ 302 का केस करने की बात कही।

इस पर एकलाख ने मना किया कि इससे पोस्टमार्टम कराना होगा। इसके बाद नोमान ने अपने चालक कमल राम से एससी-एसटी अधिनियम के तहत मामला मेरे खिलाफ दर्ज करवा दिया।

दोनों मामलों की जांच के लिए एएसआइ रामनाथ दास को आइओ बनाया गया। अब यहां से आइओ ने वसूली के लिए तमाम प्रकार के दबाव बनाने शुरू कर दिए। घर में छापेमारी, महिलाओं के साथ बदसलूकी करने के साथ ही 40 हजार रुपये की रिश्वत की भी मांग की जाने लगी। इसमें से 10 हजार रुपये महिलाओं से जबरन वसूल भी लिए।

इसके बाद उन्होंने शेष 30 हजार रुपये के लिए सीधी बात की। कहा कि थाना प्रभारी, इंस्पेक्टर सहित और ऊपर के अधिकारियों को भी इसमें देना होगा, तभी केस में फाइनल रिपोर्ट लग पाएगी। इंस्पेक्टर से आप मिलिए। वे बार रुपये के बार-बार हम पर दबाव दे रहे हैं।

शम्स ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने की ठान ली थी, सो सबूत के लिए करीब 20 मिनट तक रिश्वत के लिए हुई बातचीत को मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया। फिर इसकी सीडी बनवाकर कोर्ट सहित डीजीपी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सहित अन्य अधिकारियों को भेजी।

एसीजीएम प्रथम धीरेंद्र मिश्रा की अदालत में इस मामले की सुनवाई बुधवार आठ नवंबर को हुई। उन्होंने पूरी रिकॉर्डिंग को सुना। इसके बाद उन्होंने अपने आदेश में लिखा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि शम्स के विरुद्ध झूठा केस करके पैसे की उगाही की जा रही है।

पुलिस विभाग के वरीय पदाधिकारियों की संलिप्तता को बताकर उनकी प्रतिष्ठा को अनुसंधानकर्ता द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया गया है। यह विभागीय जांच का भी विषय है।

यह घटना इस तथ्य को भी उजागर करती है कि दुर्घटनाग्रस्त महिला का इलाज कराने के लिए शम्स द्वारा आगे आना भी उसके लिए भयावह साबित हुआ। वह तथा उसका परिवार स्वयं दो घटनाओं का शिकार हो गया।

कोर्ट ने थाना प्रभारी, अनुसधानकर्ता सहित सभी नामित व्यक्तियों के विरुद्ध धारा 323, 341, 380, 384, 388, 427, 504, 506 तथा 120-बी भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध के प्रथम दृष्टया मामला बनता है। इन सभी को समन जारी किया जाए।

बोले-थाना प्रभारी

एमएच नगर थाना प्रभारी ने अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मैंने रिकॉर्डिंग को सुना है। उसमें एएसआइ रामनाथ दास तथा शम्स तबरेज के बीच बातचीत है। एएसआइ द्वारा रिश्वत भी मांगी जा रही है लेकिन उसने कहा है कि थाना प्रभारी और इंस्पेक्टर द्वारा रिश्वत के लिए दबाव बनाया जा रहा है, यह सरासर गलत है। रिकॉर्डिंग में मेरी आवाज कहीं नहीं है। मैं एएसआइ के खिलाफ कार्रवाई के लिए वरीय अधिकारियों को लिखूंगा।

बोले-एएसपी

एएसपी कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि इस मामले की जांच होगी। अभी रिकॉर्डिंग उनके पास नहीं आई है। आने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई जरूर होगी।

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