Tuesday, March 26, 2024
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एक प्रेमी का अपनी प्रेमिका लिए अनूठा प्रेम पत्र

SI News Today

नवीन राय – बहुत दिनों से तुम्हे लिखना चाह रहा था ,या यु समझ लो के मेरे बचपन के हर पखवाड़े से लेकर जवानी के हर दिन ,तुम्हारे लिए लिखने का मन होता था पर साहित्य में मेरे हाथ तंग थे ,खैर हाथ तो आज भी तंग है,पर दूर कही मन में ये बात कौंध रही थी के तुम्हरे लिए लिखा जाये ,उम्र के साथ-साथ मैंने भी निकम्मी सरकारों कि तरह अपने साहित्य पर थोड़ा बहुत काम कर लिया |
मुझे लगता है मैं बहुत छोटा था जब पहली बार तुमसे मिला ये ही कोई चार या पाँच वसंत देखंगे होंगे मैंने अपनी जिंदगी के ,तुम हर रोज सुबह मेरे घर आती,मैं बिस्तर से उठ कर सीधा तुम्हारी तरफ भागता तुम भी बन-ठन तैयार बैठी होती , और मै तुम्हे होठों से छु लेता| तुम्हारे सौंदर्य से मुझे कभी कोई शिकायत नहीं रही कभी तुम सरसों के फूल सी पीली होती तो कभी पान के कत्थे सी भूरी ,तुम्हे हर रोज या तो मेरे माँ से या बड़ी बहनों से रूपसज्जा मिला करता , जब बड़ी बहनों का उनके अपने जिम्मेदारियों वाले मुल्क जाना हुआ ,तब से तुम मेरी माँ के ही हाथों सजती थी हर सुबह हर शाम और मै उसी उत्तेत्जना और उत्सुकता से तुम्हे अपने रोम-रोम में समा लेता | तुम्हारे आने जाने से मेरे घर में किसी ने कोई नाराजगी नही पाली थी, हां पर पापा को मेरा तुम्हारा मिलना अक्सर मेरे लिए मुनासिब नही लगता था वो अक्सर कहा करते के “इस उम्र में इत्ता मिलना जुलना ठीक नही” पर मै कहाँ मानने वाला था कुछ मुलाकातों में ही तुम्हे दिल दे बैठा था और तुम्हे होठों से स्पर्श किये बिना मै खुद को अधूरा महसूस करता था,अभी मै बिस्तर पे ही होता कि तुम्हारे आस पास होने की महक मुझे उत्सुकता की उस हद पर पंहुचा देती ,जिस उत्सुकता का तेज किसी नए नवेली दुल्हन के चेहरे पर दिखता है | कभी-कभी तो मै अनहद कि दीवानगी लिए तुम्हे तलाशा करता और तुम्हारी तलब ऐसी के माँ का हाथ पकड़ कहता तुम्हे ले आये मेरे सामने ,फिर क्या फिर तुम मेरी जिद पर आ जाती ,मै बड़े प्यार से तुम्हारा रसपान करता ,मेरा तुम्हारा मिलन अक्सर पाँच से दस मिनट का होता ,पर यकीन मानो उन चंद लम्हों में मेरे तुम्हरी एक दूसरे पर मिल्कियत, रूमानी एहसासों की सारी हदे तोड़ देती थी | मेरी तुम्हरी मोहब्बत का चर्चा और पता मेरे परिवार के सारे अजीजों को भी था ,मै कही भी जाता तो तुम्हे तैयार करके लोग मेरे सामने पूछते “कैसी लगी तुम”? और मै हर बार कि तरह तुम्हरे सौंदर्य को बेफिक्री से नजरंदाज करते हुऐ बड़ी ढिठॉई से कहता “बहुत अच्छी” |न तुमने मुझे नाराज़ किया था न मैंने तुम्हे ,अक्सर सुनता कि इस उम्र में मेरे लिए तुम्हरी लत ठीक नही पर ,तुम्हारा भूत था के उतारे ही नही | मेरे तुम्हारे रिश्ते को लेकर शिकायतें ,रुसवाईयां,चुगलियाँ बहुत हुई,पर आमिर खान के “दिल है के मानता नही” गाने कि तर्ज पर तुमने भी मेरे दिलो-दिमाग पर ऐसी ही छाप छोड़ी थी ,कि जब साँस टूटे तभी तुमसे मिलने कि आस भी छुटे|
वक्त बिता मेरे तुम्हारे रिश्ते की डोर मजबूत होती गई और कुछ दिनों में मै बड़ी बेशर्मी से तुम्हे कभी भी सजाने लगता ,कभी घनी दोपहरी में हवा कि साय-साय के बीच तुम मेरे होठों को छु लेती तो कभी घनी रात को तिलचट्टों के बेमतलब की धमकियों के बीच मै सबसे छुपा कर चोरी से तुम्हे अपने बिस्तर तक ले आता | फिर रात कि उस काली छाया में चाँद टकटकी लगाये मेरे तुम्हारे असमयिक मिलन को देखता ,और चांदनी से मेरी पागलपन का बखान करता | अब मै बड़ा हो गया हूँ और घर से दूर चला आया हूँ तुम अभी यह आती हो और मै उतने ही प्यार से तुम्हे होठों से लगता हूँ तुम्हरे सौंदर्य में थोड़ी कमी रह जाती है ,ताहम ये शहर है ,हमारा घर नही ,इलायची और अदरक के जोर पे तुम्हरे सौंदर्य को खूब रँगने कि कोशिश करता हूँ ,पर कमबख्त दूध अच्छा मिल नही पाता, पर फिर भी मुझे तुम्हारे रूप ,सुगंध ,प्याले में ली गई अंगडाईयों से कोई शिकायत नही है ,तुम हर रोज वही ताज़गी, रुमानियत ,लिए मुझसे रूबरू होती हो , माना के मेरे आय का यहाँ कोई जरिया नही , घर के रूपये पर ही सब होता है पर फिर भी
माना की के मेरी आय नही ,लेकिन ये मत समझना के तुम मेरी चाय नही
..ऐसे ही साथ देती रहो सुबह ,शाम ,दिन ,दोपहर रेड लेबल से बनो या ताज महल से ..रहो गी तुम मेरे उत्ती ही करीब देखो लिख भी रहा तुम्हारे लिए और तुम येही बगल में प्याले से मुस्कुरा रही …..मेरा तुम्हरा इश्क कायनात के पलटने तक जारी रहेगा ..तुम मिलती रहना हर मोहल्ले ,गली, चौक ,चौराहे ,स्टेशन….
लव मी लाईक यू डू ….

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