Friday, April 19, 2024
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बस कंडक्टर की मां ने कहा- प्रद्युम्न के पिता ने अपना बेटा खोया, लेकिन मेरे बेटे को बचा लिया…

SI News Today

दिल्‍ली: गुरुग्राम पुलिस द्वारा प्रद्युम्न हत्‍याकांड में आरोपी बनाए गए रायन स्‍कूल के बस कंडक्टर की मां केला देवी का कहना है कि प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर ने अपना बेटा खोया, लेकिन मेरे बेटे को बचा लिया. वह कहती हैं कि वह प्रद्युम्न के पिता की न्‍याय के लिए लड़ाई के लिए आभारी हैं कि उन्होंने अपने बच्चे को न्याय दिलाने की अपनी लड़ाई जारी रखी, जिस वजह से वह अपने बेटे (बस कंडक्टर) को बेगुनाह के रूप में जेल से बाहर आता देख सकेंगी.

बस कंडक्‍टर की मां केला देवी ने टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि ‘वरुण ठाकुर (प्रद्युम्न के पिता) ने अपना बेटा खोया, लेकिन उन्‍होंने मेरे बेटे को बचा लिया. मैं उस परिवार की हमेशा कर्जदार रहूंगी. उल्‍लेखनीय है कि हरियाणा पुलिस द्वारा इस घटना के बाद बस कंडक्टर अशोक को बतौर मुख्य आरोपी गिरफ्तार कर लिया गया था, इसके बाजवूद वरुण मामले की सीबीआई जांच की मांग पर अड़े रहे थे.

आपको बता दें कि बीते 8 सितंबर को गुरुग्राम के रायन इंटरनेशनल स्‍कूल में प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद पुलिस ने जांच करते हुए उसी दिन बस कंडक्टर को गिरफ्तार कर लिया था और उसे मामले का मुख्य आरोपी भी घोषित कर दिया था. उसके बाद से वह जेल में बंद है. बाद में बस कंडक्‍टर के परिजनों के लिए तब राहत हुई, जब सीबीआई ने जांच अपने हाथ में लेते हुए स्कूल में ही पढ़ने वाले 11वीं कक्षा के एक छात्र को आरोपी बताते हुए हिरासत में लिया और कहा कि पुलिस ने गलत व्‍यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है.

केला देवी ने अखबार से बातचीत में कहा, ‘मेरे बेटे ने परिवार का ख्याल रखने और पालन-पोषण करने के लिए जीवन भर संघर्ष किया है. उसका सपना सिर्फ एक छोटा सा घर बनाने और बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का था’.

बस कंडक्‍टर अशोक के दो बेटे हैं, जिनकी उम्र 8 साल और 5 साल है. अशोक के छोटे बेटे ने बताया, ‘मेरे पिता हर रोज 5 बजे तक घर आ जाते थे और मुझे गोद में उठाकर टॉफी की दुकान ले जाते थे’. वहीं बड़े बेटे ने बताया कि उसके पिता बहुत ही देखभाल करने वाले व्‍यक्ति हैं. उन्होंने कभी हमें थप्पड़ तक नहीं मारा, तो वह मेरी ही उम्र के बच्चे की जान कैसे ले लेंगे.

वहीं, अशोक कुमार की पत्नी ने कहा, ‘जब भी वह उनसे जेल में मिलने जाने हैं, तो वह फूट-फूटकर रो पड़ते थे और बेगुनाह होने की बात कहते थे. उनकी गिरफ्तारी के बाद से हमें खाने के लाले पड़ गए हैं. हमारे पास ठंड के कपड़े तक नहीं हैं. कैसे गुजारा होगा, पता नहीं’.

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