गुजरात में बीजेपी छठी बार सरकार बनाने जा रही है। मगर इस बार उसकी जीत का आंकड़ा बहुत उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता है। साल 2012 के विधान सभा चुनावों में बीजेपी ने 182 सदस्यों वाले सदन में कुल 115 सीटें जीती थीं मगर इस बार आंकड़ा दो अंकों में ही 99 पर सिमट कर रह गया। पार्टी को 16 सीटों का नुकसान हुआ है। अगर चार शहरों अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट ने बीजेपी को सपोर्ट नहीं किया होता तो इस बार राज्य में कांग्रेस की सरकार बन जाती। दरअसल, इन शहरों की कुल 55 सीटों में से 46 बीजेपी की झोली में गई है जबकि शेष 127 सीटों में से बीजेपी को मात्र 53 सीटें मिली हैं। इन 127 में कांग्रेस के खाते में 71 और अन्य को 03 सीटें मिली हैं। लिहाजा, कहा जा सकता है कि बीजेपी को इन चार शहरों ने ही जिताया है।
बता दें कि गुजरात के 182 सदस्यों वाली विधान सभा में बीजेपी को 99 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली है। कांग्रेस के सहयोगियों को तीन और अन्य दलों के खाते में भी 3 सीट गई हैं। चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद सोमवार (18 दिसंबर) की शाम बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में फैसला लिया गया कि गुजरात में पर्यवेक्षक के रूप में अरुण जेटली और सरोज पांडे जाएंगे और वहां विधायक दल की बैठक कर नए नेता का चुनाव करेंगे।
इस बार बीजेपी को 1.47 करोड़ वोट (49.1 प्रतिशत) मिले, जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगियों को 1.26 करोड़ (41.1 प्रतिशत) वोट। इसका मतलब है कि कांग्रेस पर बीजेपी की बढ़त गिरकर 20.64 लाख पहुंच गई है, जबकि 2012 के विधानसभा चुनावों में यह 24.45 लाख थी। बीजेपी को 99 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की तुलना में 29.67 लाख वोट मिले हैं। 2017 में औसतन 99 विधानसभाओं में बीजेपी की जीत का मार्जिन 29,968 वोट है। 2012 में बीजेपी द्वारा जीती गईं 115 सीटों पर जीत का मार्जिन 26,236 वोट था। वहीं कांग्रेस के विक्ट्री मार्जिन में एेसा नजर नहीं आता।