Friday, March 29, 2024
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जब भयानक युद्ध के कारण एकदंत हो गए थे भगवान गणेश, जानिए…

SI News Today

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माना जाता है कि एक बार भगवान परशुराम अपने इष्ट भगवान शंकर के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत गए। कैलाश में भगवान शिव और माता पार्वती के साथ विराजमान थे और राम कथा सुन रहे थे। कथा में किसी तरह का व्यवधान उत्पन्न ना हो, इसलिए अपना दिव्य त्रिशूल गणेश जी को प्रदान करके द्वार पर खड़ा कर दिया और किसी को अंदर नहीं आने देने का आदेश दिया। परशुराम कैलाश पहुंचकर भगवान शिव के दर्शन के लिए अंदर जाने लगे तो भगवान गणेश ने उन्हें द्वार पर ही रोक लिया।

परशुराम ने क्रोध में गणेश जी से पूछा कि तुम कौन हो और मुझे रोकने का साहस कैसे कर सकते हो, गणेश जी ने उनसे कहा यहां बिना आज्ञा के प्रवेश करना वर्जित है। भगवान गणेश और परशुराम जी की आवाज सुनकर सभी शिवगण वहां आ गए और परशुराम जी को बताया कि ये माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं और गणेश को परशुराम का परिचय दिया गया। परशुराम ने वहां भगवान गणेश का उपहास उड़ाया कि ऐसे मुंह वाला माता पार्वती का पुत्र कैसे हो सकता है। इसी तरह भगवान गणेश ने भी उनका उपहास उड़ाया और उसके बाद उनका विवाद बढ़ गया। परशुराम जबरदस्ती कक्ष में प्रवेश करने लगे। भगवान गणेश ने शिवजी का त्रिशूल उनके सामने कर दिया।

भगवान गणेश और परशुराम में भयानक युद्ध शुरु हो गया। भगवान परशुराम को क्रोध था कि एक बालक उनसे मुकाबला कर रहा है। इसके बाद उन्होनें अपने परशु से गणेश पर हमला कर दिया जिसके कारण उनका एक दांत टूट कर गिर गया। भगवान गणेश की चोट के कारण चींख निकली जिससे भगवान शिव और पार्वती बाहर आ गए। माता पार्वती अपने पुत्र की ये दशा देखकर क्रोधित हो गई और उन्होनें परशुराम को भस्म कर देने के लिए कहा। परशुराम को अहसास हुआ और वो क्षमा मांगने लगे। भगवान शिव के समझाने से माता पार्वती शांत हुई, लेकिन उस दिन के बाद से भगवान गणेश को एकदंत कहा जाने लगा।

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