Friday, April 19, 2024
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चंद्र देव के साथ करें भगवान शिव की पूजा, जानिए इसकी विधि…

SI News Today

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह आने वाली पूर्णिमा और अमावस्या का महत्व होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पौष माह की पूर्णिमा के दिन शांकभरी जयंती भी मनाई जाती है। जैन धर्म मानने लोग पुष्याभिषेक यात्रा की शुरुआत भी इसी दिन करते हैं। पूर्णिमा तिथि का आरंभ 1 जनवरी से हो रही है लेकिन सूर्योदय के बाद पूर्णिमा की तिथि लग रही है जिसके कारण से ज्योतिषों के अनुसार 2 जनवरी 2018 मंगलवार को मानी जाएगी। पौष पूर्णिमा को मोक्षदायिनी पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा की तिथि का आरंभ 1 जनवरी 2018 को 11 बजकर 44 मिनट से शुरु हो रही है और पूर्णिमा तिथि का समापन 2 जनवरी 2018 की सुबह 7 बजकर 53 मिनट पर होगी।

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन तीर्थस्थल पर स्नान करना शुभ माना जाता है। यदि तीर्थस्थल पर स्नान संभव नहीं हो पाता है तो गंगा जल को अपने नहाने के पानी में मिलाया जा सकता है। पूर्णिमा तिथि के दिन पितृ तर्पण भी लाभदायक माना जाता है। इसी के साथ कई लोग पूर्णिमा के दिन सुबह संकल्प लेकर विधि के साथ चंद्रदेव की पूजा करना शुभ होता है। चंद्रमा की पूजा के दौरान व्यक्ति को ऊं सों सोमाय नमः अथवा ऊं श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः का उच्चारण करना चाहिए। चंद्रमा का भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध माना जाता है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में धारण कर रखा है। इस दिन चंद्रमा के पूजन के साथ भगवान शिव का पूजन करना भी शुभ माना जाता है।

मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि चंद्रमा स्त्री ग्रह है और माता पार्वती का प्रतीक भी माना जाता है। यदि भगवान शिव के साथ माता पार्वती और संपूर्ण शिव परिवार की पूजा की जाए तो वो अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। रात में व्रत खोलते समय मौन होकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। प्रत्येक माह की पूर्णिमा को चंद्रमा का पूजन किया जाना लाभदायक माना जाता है। पूर्णिमा को पौराणिक कथाओं के अनुसार राहु ग्रह की जन्म तिथि भी माना जाता है। पूर्णमासी का व्रत करने वाली स्त्री को आजीवन सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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