बॉलीवुड एक्टर, कॉमेडियन, डायरेक्टर और डायलॉग राइटर कादर खान का अंतिम बार फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ में नजर आए थे। कुली, मुकद्दर का सिकंदर, लवारिस, शराबी और अमर अकबर एंथनी जैसी ब्लाकबस्टर फिल्में लिखने वाले कादर खान के लिए बॉलीवुड में पहचान बनाना कतई आसान नहीं था। कादर खान का बचपन काफी गरीबी में गुजरा था। इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हिंदी सिनेमा जगत में कड़ी मेहनत से लोगों के दिलों पर राज किया। चलिए आज हम आपको कादर खान से जुड़ा एक रोचक किस्सा बताते हैं। जब कब्रिस्तान में बैठने की वजह से उनका एक्टिंग करियर शुरू हुआ था।
दरअसल यह वाकया उन दिनों का है जब कादर खान की उम्र 8-9 साल थी। कादर खान की वालदा उन्हें नमाज पढ़ने के लिए पास की मस्जिद में भेजती थी लेकिन कादर का मन कहीं और ही लगता था। वह मस्जिद जाने के बजाए एक कब्रिस्तान में बैठ जाते थे और डेढ़ घंटे तक जो उनके मन में आए बोलते थे। यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा लेकिन एक दिन उसी कब्रिस्तान में उनकी किस्मत पलट गई।
आपको साल 1942 में आई फिल्म रोटी तो याद ही होगी, जिसके डायरेक्टर थे महबूब खान। इस फिल्म में एक एक्टर थे अशरफ खान। हुआ कुछ यूं था कि एक्टर अशरफ खान उन दिनों रोमियो जूलियट की तर्ज पर एक प्ले तैयार कर रहे थे, प्ले का नाम था वामक अजरा। इस प्ले में एक 8-9 साल के बच्चे की जरूरत थी, जो यंग प्रिंस की भूमिका निभा सके। साथ वह बच्चा 40 पेज की स्क्रिप्ट भी याद कर सके।
अशरफ को कादर खान के बारे में पता चला। उन्होंने कई दिन कब्रिस्तान में जाते वक्त उनका पीछा किया और एक दिन वहीं रोक लिया। अशरफ ने कादर खान को कब्रिस्तान में रोककर पूछा कि क्या वह प्ले में एक्टिंग करेंगे। कादर ने जवाब में कहा कि वह एक्टिंग नहीं जानते। तब अशरफ ने कादर को अगले दिन से अपने घर एक्टिंग सीखने के लिए बुलाया और ठीक एक महीने बाद कादर खान ने वामक अजरा में यंग प्रिंस की भूमिका निभाई थी। उस वक्त उनकी एक्टिंग इतनी पसंद की गई थी कि लोग तालियां बजाते हुए खड़े हो गए थे। इस तरह यहां से कादर खान के एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई थी।
बता दें कि कादर खान ने अपने फिल्मी करियर में करीबन 300 फिल्मों में एक्टिंग की है। साथ ही उन्होंने तकरीबन 1000 से ज्यादा हिंदी और उर्दू फिल्मों के डायलॉग भी लिखे हैं। अमिताभ बच्चन के हिट होने के पीछे भी कादर खान का योगदान है। क्योंकि कादर खान ने अमिताभ बच्चन स्टारर कई फिल्मों के डायलॉग लिखे हैं, जो आज भी हिट हैं। इनमें राजा नटवरलाल, नसीब, अमर अकबर एंथोनी और तमाम फिल्में शामिल हैं।