बॉलीवुड के गुजरे जमाने के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार और उनकी पत्नी सायरा बानो की शिकायत पर एक महीने के बाद अब जाकर कार्रवाई की गई है। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने स्थानीय बिल्डर समीर भोजवानी के खिलाफ परेशान और उत्पीड़न करने का मामला दर्ज कर लिया है। सूत्रों की मानें तो जांच एजेंसी ने शनिवार को बिल्डर के आवास और ऑफिस पर छापा भी मारा था। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने विस्तृत जानकारी नहीं दी है। दिलीप कुमार और सायरा बानो ने अपनी शिकायत में बिल्डर पर बांद्रा के पाली हिल में स्थित प्रोपर्टी (सीटीएस नंबर- 1395 और 1396) पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दावा ठोकने का आरोप लगाया था। इस बाबत मामला दर्ज करने के बाद जांच एजेंसी ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है। दिलीप कुमार और सायरा बानो पिछले तकरीबन 50 वर्षों से पाली हिल स्थित बंगले में रह रहे हैं। प्रोपर्टी पर विवाद गहराने के बाद दोनों ने बिल्डर के खिलाफ लिखित शिकायत दी थी।
दिलिप कुमार और सायरा बानो ने अपनी शिकायत में डेवलपर पर संपत्ति के अलावा धमकाने का भी आरोप लगाया था। सायरा ने शिकायत में कहा था, ‘डेवलपर मुझे, मेरे पति और भतीजे को धन और बाहुबल के दम पर जबरन निकालने की धमकी दी है। डेवलपर ने मेरी संपत्ति पर कब्जा करने के लिए मेरे और मेरे पति के खिलाफ झूठा आपराधिक मामला दर्ज कराने की भी धमकी दी है।’ सायरा बानो ने शिकायत दर्ज कराने के अलावा अधिकारियों को संपत्ति पर अधिकार से जुड़े दस्तावेज भी सौंपे थे। पाली हिल स्थित यह बंगला तकरीबन आधे एकड़ में फैला हुआ है। रियल स्टेट के विशेषज्ञों के मुताबिक, इस संपत्ती की कीमत तकरीबन 250 करोड़ रुपये है।
दिलीप कुमार और सायरा बानो द्वारा इस मामले में शिकायत देने के बाद विवाद बहुत बढ़ गया था। इसके बाद बिल्डर समीर भोजवानी को पिछले दिनों सफाई भी देनी पड़ी थी। लग्जरी अपार्टमेंट के लिए मशहूर समीर भोजवानी ने कहा था कि दिलीप कुमार यहां वर्ष 1953 के बाद से किराये पर रह रहे हैं। भोजवानी ने कहा था, ‘मेरे पिताजी ने यह बंगला मूलराज खाटू ट्रस्ट से वर्ष 1986 में खरीदा था। जिसके बाद मेरे पिताजी इस घर के मालिक और दिलीप कुमार इस घर के किरायेदार बन गए थे। पिता के निधन के बाद अब मैं इस घर का मालिक हूं।’ भोजवानी का कहना है कि वर्ष 2008 में दिलीप कुमार ने इसे फिर से विकसित करने के लिए एक बिल्डर से समझौता किया था। इसके बाद मैंने उनके खिलाफ निष्कासन का मुकदमा दायर किया था। मालूम हो कि इस दो मंजिले बंगले का निर्माण वर्ष 1920 में किया गया था। नौ साल पहले दिलीप कुमार ने रास्ता बनाने के लिए इसमें तोड़फोड़ की थी।