Friday, March 29, 2024
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लालू की बड़ी बहन का हुआ अंतिम संस्कार, नहीं पहुंचे तेजस्वी-तेजप्रताप…

SI News Today

चारा घोटाले में रांची जेल में सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बड़ी बहन गंगोत्री देवी का सोमवार (08 जनवरी) को गोपालगंज के पंचदेवरी के चक्रपान गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। वो 75 साल की थीं। रविवार को पटना में उनका निधन हो गया था। अंतिम संस्कार में लालू यादव के दोनों बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप नहीं पहुंचे थे। हालांकि, बहुत देर तक लोगों ने उनकी राह देखी। अंत में रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने गंगोत्री देवी का अंतिम संस्कार कर दिया। गंगोत्री देवी के पुत्र बालेश्वर यादव ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पहले बड़ी संख्या में रिश्तेदार और राजद कार्यकर्ता वहां पहुंच चुके थे।

बता दें कि गंगोत्री देवी छह भाइयों में अकेली बहन थीं। वह पटना के वेटनरी कॉलेज के उसी सर्वेंट क्वार्टर में रहती थीं जहां लालू भी रहा करते थे और 1990 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भी छह महीने तक रहकर सरकार चलाई थी। गंगोत्री देवी पहले से बीमार चल रही थीं लेकिन शनिवार (06 जनवरी) को भाई लालू यादव को सजा सुनाए जाने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकीं और अगले ही दिन रविवार (07 जनवरी) को उनका निधन हो गया। इस मौके पर वेटरीनरी कॉलेज स्थित स्टाफ क्वार्टर में राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव समेत राजद के कई नेता वहां मौजूद थे।

रविवार को ही देर शाम गंगोत्री देवी का शव उनके गांव चक्रपान लाया गया था। गंगोत्री देवी के तीन बेटे थे जिनमें से एक की मौत पहले ही हो चुकी है। बाकी दोनों बेटे एक रेलवे में तो दूसरा बिहार पुलिस में नौकरी करते हैं। गंगोत्री देवी के बेटे के मुताबिक वो पिछले कुछ दिनों से भाई लालू यादव से मिलने के लिए बेचैन थीं। वो अक्सर रात में उठकर भाई से बात कराने की जिद किया करती थीं। बेटे के मुताबिक वो अक्सर ये कहा करती थीं कि उनके भाई को पैसे वालों ने मिलकर फंसाया है। इधर, गंगोत्री देवी के भतीजे और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके परिवार के लिए यह दुख की घड़ी है।

रविवार की सुबह गंगोत्री देवी के निधन की खबर मिलते ही राबड़ी देवी दोनों बेटों के साथ पटना वेटरिनरी कॉलेज के सर्वेंट क्‍वार्टर पहुंच गई थीं। राबड़ी रो रही थीं और दोनों बेटों की आंखें भी डबडबाई हुई थीं। राबड़ी ने सुबकते हुए कहा, ”वह लालू जी के बहुत करीब थीं और कई दिन से उनकी जेल से रिहाई की प्रार्थना कर रही थीं। वह बहुत परेशान थीं और साहेब (लालू) के जेल जाने के बाद से सदमे में थीं। वह हर रक्षाबंधन को लालू जी को राखी बांधती थीं।

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