Friday, March 29, 2024
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रैली करने में कामयाब हुए जिग्नेश मेवानी पर नहीं जुटा पाए भीड़, जानिए…

SI News Today

गुजरात के नवनिर्वाचित विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की अगुआई में मंगलवार (9 जनवरी) को दिल्ली के संसद मार्ग पर ‘युवा हुंकार’ रैली शुरू हुई। हालांकि, रैली आयोजन स्थल और आसपास के क्षेत्रों में भारी पुलिस बल की मौजूदगी रही। अधिकारी आखिरी समय तक यही कहते रहे कि मेवाणी और उनके समर्थकों को कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं है। हालांकि, ऐसा लगता है कि रैली आयोजनकर्ताओं और दिल्ली पुलिस के बीच बाद में समझौता हो गया।

दोपहर करीब एक बजे शुरू होने वाली रैली में मामूली भीड़ जुटी। संसद मार्ग पुलिस थाने से कुछ ही मीटर की दूरी पर बने मंच पर जेएनयू के पूर्व एवं वर्तमान छात्र नेता मौजूद थे। इनमें कन्हैया कुमार, शेहला राशिद और उमर खालिद शामिल थे। इसके साथ ही इस मौके पर असम किसान नेता अखिल गोगोई, उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता प्रशांत भूषण के अलावा जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र भी मौजूद थे। आयोजनकर्ताओं के मुताबिक, रैली का उद्देश्य दलित संगठन भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की रिहाई की मांग उठाना और शैक्षिक अधिकार, रोजगार, आजीविका और लैंगिक न्याय जैसे मुद्दों पर जोर देना है। बता दें कि आजाद को गत वर्ष जून में हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था क्योंकि वह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में हुए ठाकुर-दलित संघर्ष के मुख्य आरोपी हैं। चंद्रशेखर के समर्थक उसकी तस्वीर वाले पोस्टरों के साथ रैली में पहुंचे थे।

– उमर खालिद ने कहा है कि वह रोहित वेमुला और चंद्रशेखर के लिए इंसाफ चाहते हैं। खालिद ने कहा कि चंद्रशेखर हिंदू राष्ट्र के लिए मुसीबत हैं, ना कि इस देश के लिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए खालिद ने कहा, ‘योगी दलितों से तो मिलते हैं लेकिन उन्हें साबुन और शैम्पू भेजते हैं ताकि वह पहले खुद को साफ कर सकें। टीवी में हो रहा हल्ला सड़कों के गुस्से को नहीं दिखाता। पीएम मोदी का बुलबुला फूट चुका है, इसके लिए छात्रों, औरतों, किसानों और अल्पसंख्यकों को धन्यवाद। हम नफरत नहीं चाहते, हम हमारा अधिकार चाहते हैं।’ जंतर-मंतर और उसके आसपास के इलाकों पर किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के उद्देश्य से भारी मात्रा में पुलिसबल की तैनाती की गई है।

– खबर के मुताबिक जिग्नेश की इस हुंकार रैली में शामिल होने के लिए ज्यादा लोग नहीं पहुंचे। इस रैली में 200 से 300 समर्थकों ने ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। रैली के लिए लगाई गई ज्यादातर कुर्सियां खाली पाई गई हैं। जबकि मेवानी ने दावा किया था कि उनकी रैली में भारी संख्या में लोग शामिल होंगे।

– जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष रह चुकीं शहला रशीद ने कहा है कि अगर लोगों की संख्या में कमी आती है तो इसकी जिम्मेदार दिल्ली पुलिस होगी। मंगलवार को दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट पर होने वाली मेवानी की रैली को दिल्ली पुलिस ने भले ही कैंसिल कर दिया है, लेकिन जिग्नेश और रैली का आयोजन करने वाले संगठन अभी भी अपनी बात पर अड़े हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के आदेशों का हवाला देते हुए पार्लियामेंट स्ट्रीट पर होने वाली रैली को रद्द कर दिया है और कहा है कि जिग्नेश किसी अन्य इलाके में रैली करें।

– एनजीटी ने पिछले साल 5 अक्टूबर को जंतर मंतर रोड के पास किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन करने पर, धरना देने पर, रैली करने पर और भाषण देने पर रोक लगा दी थी। दिल्ली पुलिस ने एनजीटी के इसी आदेश का हवाला देते हुए सोमवार की रात को ट्वीट किया, ‘NGT के आदेशों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा पार्लियामेंट स्ट्रीट पर रैली करने को लेकर इजाजत नहीं दी गई है। आयोजकों से अनुरोध है कि वे किसी अन्य इलाके में रैली करें।’

– डीसीपी के ट्विटर हैंडल से यह ट्वीट किया गया है। हालांकि आयोजकों ने दिल्ली पुलिस की बात मानने से साफ इनकार कर दिया है। जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष रह चुकीं और लेफ्ट नेता शहला रशीद ने डीसीपी के जवाब में ट्वीट कर कहा कि रैली तो वहीं की जाएगी।

– हुंकार रैली पर बढ़ते विवाद को देखते हुए दिल्ली में सुरक्षा के चौकस प्रबंध किए गए हैं। किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए भारी मात्रा में पुलिसबल की तैनाती की गई है। इसके अलावा दिल्ली में जिगनेश मेवानी के विरोध में पोस्टर भी लगाए गए हैं। पोस्टर्स के माध्यम से उन्हें ‘भगोड़ा’ कहा जा रहा है।

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