देश में यौन कर्मियों और उनके बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाले एक संगठन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देह व्यापार को वैध करने की मांग की है ताकि इसमें शामिल महिलाओं को उनके मूल अधिकार मिल सकें। भारतीय पतिता उद्धार सभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है, ‘‘यौन कर्मियों की समस्या से निपटना आसान नहीं है। इसलिए भारत में इसे वैध करने की जरूरत है और उनके पुनर्वास तथा उत्थान के प्रयास किए जाने चाहिए।’’ पत्र में संगठन के प्रमुख खैराती लाल भोला ने कहा कि देह व्यापार को कानूनी जामा पहनाने से यौन कर्मी अपनी आय को अपने पास रख सकेंगी और अपने बच्चों को शिक्षा दिला सकेंगी।
इसने दावा किया कि देह व्यापार करोड़ों रुपए का कारोबार है और इसमें यौन कर्मी जो कमाई करती हैं उन्हें कोठे वाले, पुलिस और अन्य लोग हथिया लेते हैं। संगठन ने कहा कि देह व्यापार को कानूनी रूप देने के बाद यौन कर्मियों को संबंधित प्राधिकार लाइसेंस जारी करें और बिना लाइसेंसी यौन कर्मियों पर कार्रवाई की जाए। संगठन का दावा है कि देश में 54 लाख यौन कर्मी हैं और उनके 25 लाख बच्चे हैं। इनमें से कई एड्स समेत विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और वे पेय जल सहित अन्य बुनियादी सहूलियतों से महरूम हैं।
संगठन ने कहा कि केंद्र और किसी राज्य सरकार ने यौन कर्मियों के कल्याण के लिए अभी तक कोई योजना नहीं बनाई है। वहीं राष्ट्रीय राजधानी में जनवरी में कम से कम तीन लोगों के डेंगू से ग्रसित होने के मामले सामने आए। मच्छर जनित रोगों के मामले सामान्य तौर पर मध्य जुलाई और नवंबर के अंत तक सामने आते हैं और यह समय मध्य दिसंबर तक भी जा सकता है।
नगर निगम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘20 जनवरी तक डेंगू के तीन मामले सामने आए। बहरहाल मलेरिया और चिकनगुनिया का कोई मामला सामने नहीं आया है।’’ 13 जनवरी तक मच्छर जनित बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया था। दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के मुताबिक दिल्ली में पिछल वर्ष डेंगू से कम से कम दस लोगों की मौत हो गई। एसडीएमसी पूरे महानगर में मच्छर जनित रोगों के आंकड़े रखता है। मच्छर जनित रोगों से 2017 में 9271 लोग प्रभावित हुए थे।