Friday, March 29, 2024
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मुंबई: जांच में फेल हुई 27 लाख की बुलेट प्रूफ जैकेट…

SI News Today

मुंबई: सुरक्षाबलों की सजगता से हम खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. अपनी जान की परवाह किए बिना पुलिस और सेना के जवान दुश्मनों से लोहा लेते है. लेकिन अब खुद सुरक्षाबलों की सुरक्षा पर ही सवालिया निशान लगने लगे हैं. घाटी में आतंकी हमले के दौरान दो जवान ऐसे भी शहीद हुए थे, जिन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट पहने हुई थीं. लेकिन आतंकियों की गोली ने बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदते हुए जवानों के सीने को छलनी कर दिया था. जांच से पता चला है कि पुलिस और सुरक्षा बल जिस बुलेट प्रूफ जैकेट को पहनकर खुद को महफूज महसूस करते हैं, असल में वे जैकेट गोली के हमले को सहन ही नहीं कर सकती. महाराष्ट्र पुलिस ने बुलेट प्रूफ जैकेटें लौटा दी हैं.

कानपुर से खरीदीं थी जैकेट
26/11 को हुए आतंकी हमले के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने खुद को मिली 4600 बुलेट प्रूफ जैकेटों में से एकतिहाई यानी कुल 1430 जैकेटें निर्माता को वापस कर दी गयी हैं. ये जैकेटें इसलिए लौटाई गईं क्योंकि ये एके-47 गोली परीक्षण में असफल रही थीं. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (खरीद और समन्वय) वीवी लक्ष्मीनारायण ने बताया कि एके-47 गोली परीक्षण में असफल रहने के कारण हमने 1400 से अधिक बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माताओं को लौटा दी हैं. यह जैकेट कानपुर स्थित निर्माता कंपनी को वापस की गई हैं जहां से यह तीन खेप में आई थीं.

17 करोड़ में खरीदीं 4600 जैकेट
पुलिस विभाग ने कंपनी को 5,000 बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने का आदेश दिया था. यह कंपनी अन्य केन्द्रीय सुरक्षा बलों को भी ऐसी जैकेट मुहैया कराती है. सीमा शुल्क ड्यूटी और अन्य शुल्कों के साथ 17 करोड़ रूपये दिए गए थे और 4600 जैकेटें मिली थीं. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में आयोजित परीक्षणों में करीब 3,000 जैकेटें ही जांच में पास हो सकीं. उन्होंने बताया कि 1,430 जैकेटों को इसलिए वापस कर दिया गया क्योंकि परीक्षण के दौरान एके-47 की गोलियां इनमें से हो कर गुजर गईं.

1430 जैकेट जांच में फेल
अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने निर्माता को नए माल से 1,430 जैकेटों को बदल देने को कहा. बुलेटप्रूफ जैकेट की गुणवत्ता और मानकों के साथ कोई समझौता नहीं होगा और हम उन बुलेटप्रूफ जैकेट की जांच के बाद ही निर्माता से माल लेंगे.’’

जैकेट पहने हुए हेमंत करकरे को गोली लगी
2008 में हुए आतंकी हमलों में एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की मौत के बाद बुलेट प्रूफ जैकेटों की गुणवत्ता पर एक बहुत बड़ा विवाद शुरू हो गया था. राज्य पुलिस को हमले के करीब नौ साल बाद, 2017 की अंतिम तिमाही में जैकेटों की खेप मिलनी शुरू हुई.

जैकेट पहने CRPF के दो जवानों की गोली लगने से मौत
31 दिसम्बर को जैश-ए-मोहमद के आतंकियो ने सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर दिया था. देर रात अचानक हुए इस हमले में सुरक्षा बल के 5 जवान शहीद हुए थे. हालांकि जवाबी कार्रवाई में सेना ने नजदीक ही एक बिल्डिंग में छिपे तीनों आतंकियों को मार गिराया था. इस घटना में खास बात ये है कि शहीद 5 जवानों में से दो जवानों ने बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी हुई थी. ये जवान कैंप के गेट पर पहरा दे रहे थे. बावजूद इसके आतंकियों की गोली उनकी जैकेट को भेदते हुए सीने में जा लगी.

खुफिया जांच से खुलासा
बुलेट प्रूफ जैकेट के बावजूद गोली लगने से हुई जवानों की मौत पर सुरक्षा एजेंसियों से लेकर गृह मंत्रालय तक में हलचल मच गई. पूरे मामले की जांच की गई कि कहीं जैकेट में ही तो कोई खराबी नहीं है, लेकिन जैकेट हर टैस्ट में खरी उतरीं. बाद में जवानों को लगी गोलियों की जांच की गई. जांच में पाया गया कि आतंकियों ने बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदने वाली खास किस्म की गोलियों का इस्तेमाल किया था. सेना ने जांच की कि आखिर आतंकियों के पास इस तरह की गोलियां कहां से आईं. जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आतंकियों का मददगार कोई और नहीं बल्कि चीन है. चीन में इस तरह का स्टील तैयार किया जा रहा है जो बुलेट प्रूफ को भेद कर किसी के भी सीने के छलनी कर सकता है. और इस स्टील से बनी गोलियां चीन द्वारा आतंकियों को सप्लाई की जा रही हैं.

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