Friday, March 29, 2024
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इस बच्ची को जिस ने भी देखा सभी ने कहा- इसे मुझे दे दो, जानिए क्या है मामला…

SI News Today

रामपुर: 9 फरवरी 2018। मुरादाबाद से 15 किमी दूर का एक गांव- कुलवाड़ा। सुबह 6.30 बजे का समय। सड़क किनारे झाड़ियों से किसी बच्चे की रोने की आवाज आई। जब जायदा वहां पहुंची तो देखा- एक बच्ची गुलाबी स्वेटर और लाल पायजामे में औंधे मुंह पड़ी है। बच्ची का मखमली तौलिया भी वहीं पड़ा था। ठण्ड काफी थी। जल्दी से बच्ची को उठाया और सीने से लगा लिया। करीब छह महीने की बिटिया थी। बच्ची को सबसे पहले देखने वाली जायदा कहती हैं- काश यह बच्ची मेरी होती।

– लावारिस हालत में मिली यह बच्ची अब मुरादाबाद से रामपुर के राजकीय बाल शिशु गृह आ गई है। जायदा के तीन बेटे और तीन बेटियां हैं लेकिन मासूम बच्ची को सीने से लगाया तो लगा अपनी ही बच्ची को गोद में लिया है।
– जायदा ने बच्ची के बारे में जब गांव के लोगों को बताया तो गांव में ही रहने वाली यासीन की पत्नी शब्बो ने कहा कि बच्ची हमें दे दो। जायदा मान गईं और बच्ची को शब्बो की गोद में दे दिया। शब्बो की गोद में एक बेटा है, उसे सीने से लगाए घर में चूल्हे किनारे बैठ गईं ताकि बच्ची को गर्मी मिल सके। शब्बो बताती हैं कि मैं बच्चे को अपना दूध पिलाना चाहती थी, लेकिन मैंने किसी संभावित डर से नहीं पिलाया क्योंकि मामला पुलिस का हो गया था।
-बहरहाल, बच्ची को ऊपर का दूध पिलाया। शब्बो कहती हैं कि घर से थाने तक करीब 5 से 6 घंटे बच्ची उन्हीं की गोद में रही। बच्ची इतनी प्यारी है कि उसे छोड़ने का मन नहीं कर रहा है। साहब से कहा कि इसे हमें ही दे दो, लेकिन उन्होंने कहा ऐसे किसी को भी बच्चा नहीं दिया जा सकता है। कुंदरकी थाने से मुरादाबाद सीमा तक डायल 100 पर चलने वाले संग्राम यादव और संदीप सिंह बच्ची की सूचना मिलने पर 6 मिनट में मौके पर पहुंचे थे तब मामला थाने पहुंचा।

– संग्राम यादव कहते हैं कि मौके से थाने तक बच्ची 5 से 6 घंटे तक रही इस दौरान उसे लेने के लिए कई लोग सामने आए। जिसमें गांव के लोगों के अलावा पुलिस का एक सिपाही भी था। उसका कहना था कि भाई को बच्चे नहीं है अगर यह बच्ची मिल जाती तो उनकी जिंदगी बेहतर हो जाती। यही नहीं जब मैं बच्ची को लेकर मेडिकल कराने अस्पताल गया तो वहां भी एक साहब ने कहा बच्ची हमें दे दो। उन्होंने बताया कि 9 फरवरी को ही बच्ची को बाल कल्याण समिति मुरादाबाद को सौंप दिया गया था। कुंदरकी थाने से होकर टीम जब बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष गुलजार अहमद के पास पहुंची तो उन्होंने बताया कि पहले 7-8 दिन में ही 250 से ज्यादा कॉल आ चुकी हैं।
– इसमें सीआरपीएफ अफसर से लेकर लोकल के कुछ जोड़े शामिल हैं। गुलजार कहते हैं कि फिलहाल 2 महीने तक हम बच्ची के असली माता-पिता का इन्तजार करेंगे। उन्होंने बताया कि बच्ची को अडॉप्ट करने के लिए फ़िलहाल सीएआरए (सेन्ट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) में अप्लाई करना होगा। इसके बावजूद जरूरी नहीं कि आपको यह बच्ची मिलेगी, क्योंकि पहले जिस बच्चे का नंबर होगा उसकी ही अडॉप्ट करना होगा।
– रामपुर के राजकीय बाल शिशु गृह में छह महीने की बच्ची समेत 35 बच्चों की देखभाल के लिए तीन शिफ्ट में दो-दो लड़कियां मौजूद रहती हैं। यहां कुल 14 लोगों का स्टाफ मौजूद है। इन्ही लड़कियों ने बताया कि यहां हम हर बच्चे को नाम से पुकारते हैं। इसका नाम परी रखा गया है। इसकी स्माइल बहुत ही अच्छी है। बच्ची की देखभाल करने वाली जकिया ने बताया कि बच्ची अभी दूध और दाल का पानी वगैरह ही पी रही है।
– बच्ची परेशान नहीं करती है बस भूखी होने पर थोड़ा रोती है। बाल गृह में रह रहे बच्चों के बीच अब घुलने मिलने लगी है। राजकीय बाल शिशु गृह के एक कर्मचारी ने बताया कि उत्तराखंड के एक व्यक्ति का फोन आया था जिसने बताया कि वह बच्ची को पहचानता है और उसके पड़ोस में रहने वाले परिवार की ही बच्ची है। अब उस व्यक्ति को प्रशासन खोजने में लगा हुआ है।

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