रेंटिंग एजेंसी फिच ने 11,400 करोड़ रुपए के घोटाले के सामने आने के बाद पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 20 फरवरी को ‘रेटिंग वाच निगेटिव’ श्रेणी में रख दिया है। यह पीएनबी की रेंटिंग घटाने का संकेत हो सकता है। उसने कहा कि बैंकिंग इतिहास के इस सबसे बड़े घोटाले से आंतरिक एवं बाह्य जोखिम नियंत्रण तथा प्रबंधकीय निगरानी पर सवाल खड़े होते हैं क्योंकि कई साल तक यह पकड़ में नहीं आ सका। फिच ने कहा, ‘‘फिच रेटिंग ने पीएनबी में बड़े घोटाले का खुलासा होने के बाद उसे व्यावहारिकता रेटिंग की ‘रेटिंग वाच निगेटिव’ श्रेणी में रख दिया है।’’ फिच के अनुसार, व्यावहारिकता रेटिंग से किसी वित्तीय संस्थान की ऋण विश्वसनीयता का पता चलता है तथा यह संबंधित निकाय की असफलता का सूचक होता है।
उसने कहा, ‘‘फिच नियंत्रण की असफलता के बारे में चीजें स्पष्ट होने तथा पीएनबी की वित्तीय स्थिति पर इसके असर को देखने के बाद एक बार फिर रेटिंग वाच का विश्लेषण करेगा।’’ फिच ने कहा कि इस घोटाले से बैंक की छवि को धक्का पहुंचा है और इसका पूंजी बाजार पर भी असर हुआ है। उसने कहा कि वह पीएनबी की जिम्मेदारियों, संभावित वसूली तथा आंतरिक एवं बाह्य स्रोतों से नई अतिरिक्त पूंजी के प्रबंध की निगरानी करेगा ताकि वह तय कर सके कि बैंक की वित्तीय स्थिति मौजूदा रेटिंग के स्तर की है या नहीं। हालांकि फिच ने कहा कि इस घोटाले से बैंक के ‘सपोर्ट रेटिंग फ्लोर’ पर असर पड़ने की आशंका कम है क्योंकि दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक होने के नाते यह बैंकिंग प्रणाली में काफी महत्वपूर्ण है।
मूडीज की निगाह पीएनबी के घोटाले पर : क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर सर्विस ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद उसकी साख के मौजूदा स्तर को तौलना शुरू किया है और एजेंसी सरकारी क्षेत्र के इस बैंक की साख घटा सकती है। साख घटने का मतलब है कि बाजार से धन उठाने की उसकी लागत बढ़ सकती है। पीएनबी को मूडीज ने अभी स्थिर परिदृश्य के साथ BAA2 रेटिंग दिया हुआ है। मूडीज ने कहा कि उसने बैंक की साख की समीक्षा शुरू की है और इसमें घोटाले के वित्तीय प्रभाव के समय एवं परिमाण, बैंक की पूंजीगत स्थिति को सुधारने के लिए उठाये गये कदम तथा नियामकों द्वारा बैंक के खिला की गयी कार्रवाइयों पर को ध्यान में रखा जाएगा। मूडीज ने कहा, ‘‘धोखाधड़ी से हुए नुकसान का आकलन नियमों के आधार पर किया जाना है लेकिन हमारा मानना है कि इसके बड़े हिस्से के बराबर पूंजी का प्रावधान पीएनबी को करना पड़ेगा। इससे बैंक का मुनाफा भी दबाव में आएगा।’’