Thursday, March 28, 2024
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जज पर जानलेवा हमले से कठघरे में नीतीश सरकार, वरिष्ठ अधिवक्ता सेंगर ने पूछा बड़ा सवाल…

SI News Today

बिहार में गिरती कानून व्यवस्था के साथ नेताओं और न्यायपालिका के लोगों पर हमले को लेकर सूबे की नीतीश सरकार के ऊपर सवाल खड़ा होने लगा है. पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व जनहित याचिका दायर करने के लिए मशहुर मणिभूषण प्रताप सेंगर ने चिंता व्यक्त करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है.

मणिभूषण प्रताप सेंगर का कहना है कि बिहार में विधि व्यवस्था की स्थिति बहुत ही बुरी ही चुकी है. यह कितनी बुरी हो चुकी है इसका अंदाज और अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है की कल मंगलवार की सुबह भागलपुर जिले की नवगछिया व्यवहार न्यायालय के एसीजेएम संतोष कुमार पर कोर्ट कैंपस में ही कल मॉर्निंग वॉक करने के दौरान चार अपराधियों ने उन्हें जान से मारने की नियत से ताबड़तोड़ फायरिंग करना शुरू कर दिया जिसमें की वो बाल बाल बच गए. इतना ही नहीं की इस लचर विधि व्यवस्था के शिकार केवल जज शाहब ही बने हैं, बल्कि जनता दल यूनाईटेड के के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी पर भी जानलेवा हमला हुआ.

उन्होंने कहा कि इन दोनों की बात हटा दी जाए तो पिछले सप्ताह मुझे भी पीआईएल करने से रोकने के लिए जान से मारने की धमकी दी गई है, और मेरे साथ यह कोई पहली बार नहीं बल्कि बहुत बार हुआ है, यहां तक कि मेरी गाड़ी और एक बार मुझे भी शारीरिक स्तर पर क्षति पहुंचाई गई है जिसकी सूचना लिखित तौर पर मैंने डीजीपी से लेकर क्रमशः थाना स्तर के अधिकारियों को दी थी पर आज तक न कोई कार्यवाई हुई है नहीं मुझे सुरक्षा दी गई है.

क्या प्रशासन और सरकार ये बता सकती है कि उसकी जिम्मेदारी केवल मुख्यमंत्री, उपमुख्मंत्री, एवं उसी स्तर के भी वीआईपी लोगों के लिए केवल है या फिर आम जनता एवं अन्य मान्य लोगों के लिए भी है. इन सभी घटनाओं से यह प्रमाणित होता है कि कुछ गिने चुने लोगों को छोड़कर यह सरकार या अन्य कोई भी सरकार ही किसी के लिए विधि व्यवस्था कायम करने म सक्षम नहीं है. कल जो जज साहब के साथ घटना घटी और साथ ही साथ जो अन्य घटनाओं का मैंने जिक्र किया है उससे यह पूरी पूरी प्रमाणित होता है कि बिहार में विधि व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है, और इसे नियंत्रित करने में कोई भी सरकार हो वह पूरी तरह से फेल है.

अब ये विधि व्यवस्था माननीय उच्च न्यायालय ही ठीक कर सकती है. उन्होंने कहा है कि क्यों न एक जनहित याचिका के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय से ही निवेदन कर हस्तक्षेप कराया जाए. क्योंकि सरकार तो अब जानती कि सुरक्षा नहीं कर पा रही है तो माननीय उच्च न्यायालय ही हर बार की तरह जनता की सुरक्षा मुकम्मल करा सके. निश्चित ही यह एक जनता की बहुत ही बड़ी समस्या है और जनहित का एक वास्तविक मुद्दा है, जिसपे मैं निश्चित ही एक जनहित याचिका दायर करूंगा और सरकार को भी इसका जवाब देना होगा. क्योंकि जब एक जज सुरक्षित नहीं है तब कौन होगा?

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