Tuesday, April 16, 2024
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इस मामले में तो भारत से कहीं आगे है पाकिस्तान, जानिए रिपोर्ट…

Directors Sharmeen Obaid-Chinoy (L) and Daniel Junge, winners of the Best Documentary Short Subject for the film "Saving Face", pose with their Oscars during the 84th Academy Awards in Hollywood, California February 26, 2012. REUTERS/Mike Blake (UNITED STATES - Tags: ENTERTAINMENT) (OSCARS-BACKSTAGE) - GF2E82R0D6D01
SI News Today

भारत और पाकिस्तान के बीच चाहे खेल हो या फिल्में, प्रतिस्पर्धा बनी रहती है. लेकिन एक मामले में पाकिस्तान हमारे देश से जरूर आगे है. और यह है ऑस्कर अवॉर्ड.

व्यक्तिगत तौर पर अॉस्कर अवॉर्ड की बात करें तो भारत पाकिस्ता से आगे है लेकिन अब तक कोई भी भारतीय फिल्म अॉस्कर नहीं जीत पाई है. फीचर फिल्म के मामले में पाकिस्तान का हाल भी हमारे जैसा है लेकिन डॉक्यूमेंट्री में वह हमसे कहीं आगे है. बेहतरीन डॉक्यूमेंट्री के लिए पाकिस्तान ने अब तक कुल दो ऑस्कर अवॉर्ड जीते हैं.

यह महज इत्तेफाक नहीं है कि पाकिस्तान की झोली में दोनों ऑस्कर डालने का क्रेडिट एक महिला को है. यह महिला हैं पाकिस्तानी पत्रकार और फिल्मकार शरमीन ओबैद चिनॉय. शरमीन ओबैद पहली पाकिस्तानी नागरिक हैं जिन्होंने ऑस्कर अवॉर्ड जीता है.

कौन हैं शरमीन ओबैद चिनॉय?
फिल्मकार शरमीन ओबैद चिनॉय को पहला अवॉर्ड साल 2011 में मिला था. यह पाकिस्तान का भी पहला अवॉर्ड था. यह अवॉर्ड उन्हें ‘सेविंग फेस’ के लिए जीता था. यह फिल्म लड़कियों के चेहरे पर तेजाब फेंके जाने के बाद उनके चेहरे को बचाने का प्रयास कर रहे प्लास्टिक सर्जन डॉ मोहम्मद जवाद की कहानी है.

इसके बाद शरमीन ने 2016 के 88वें ऑस्कर समारोह में अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘अ गर्ल इन द रिवर: द प्राइस ऑफ अनफॉरगिवनेस’ के लिए ऑस्कर जीता था. ‘अ गर्ल इन द रिवर’ के लिए ऑस्कर जीत कर शरमीन ओबैद ने पाकिस्तान की झोली में दूसरा ऑस्कर डाला.

पाकिस्तान में शरमीन ओबैद की बनाई इन फिल्मों का जमकर विरोध हुआ लेकिन ऑस्कर जीतने में यह फिल्में कामयाब रहीं. सामाजिक मुद्दों पर बनी इन डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का असर भी पाकिस्तान में देखने को मिला. ‘अ गर्ल इन द रिवर’ के बाद तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को फर्जी शान के कारण लोगों को मार देने के खिलाफ कानून तक बनान पड़ गया था. जिस पर फिल्म आधारित थी.

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