Thursday, April 18, 2024
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BSP से निष्कासित नसीमुद्दीन सिद्दीकी थाम सकते हैं कांग्रेस का हाथ, जानिए रिपोर्ट…

SI News Today

लखनऊ: बसपा से निकाले जाने के बाद 10 महीनों से अपनी नई राजनीति पारी की शुरुआत करने की कोशिश में लगे नसीमुद्दीन सिद्दीकी आज कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। बता दें, 10 मई, 2017 को मायावती ने नसीमुद्दीन और उनके बेटे को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। इनपर अनुशासनहीनता का आरोप लगा था। पार्टी से बाहर होने के बाद सिद्दीकी ने भी माया पर 50 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाते हुए एक ऑडियो जारी किया था। सिद्दीकी अब तक 3 बार राहुल गांधी से मुलाकात कर चुके हैं।

– पहली मुलाकात उन्होंने गुजरात चुनाव का रिजल्ट आने के बाद 28 दिसंबर, 2017 को की थी। फिर जनवरी 2018 में एक मुलाकात हुई और आखिरी मुलाकात बीते 18 फरवरी को गुलाम नबी आजाद ने कराई थी।
– बताया जा रहा है कि आखिरी मुलाकात में राहुल ने नसीमुद्दीन के पार्टी में आने की हामी भर दी है।
– कांग्रेस लीडर्स के मुताबिक, 22 फरवरी को नसीमुद्दीन कांग्रेस ज्वाइन करेंगे। इनके अलावा बसपा के 3 पूर्व मंत्री, 4 पूर्व सांसद, 3 दर्जन पूर्व विधायक, विधानसभा और लोकसभा के उम्मीदवार रह चुके प्रत्याशी भी पार्टी में शामिल होंगे।

क्यों है कांग्रेस को नसीमुद्दीन सिद्दीकी की जरुरत
– वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल कहते हैं, नसीमुद्दीन की पहली पसंद कांग्रेस नहीं थी। वह सपा को अपने लिए मुफीद मान रहे थे, क्योंकि वह मुस्लिमों की राजनीति करते हैं। उसके लिए सपा सही पार्टी थी। लेकिन वहां पहले से मौजूद मुस्लिम लीडर्स में उनके लिए उत्साह नहीं था, जिसकी वजह से बात नहीं बनी।
– सितंबर 2017 में सिद्दीकी के सपा में जाने की बात सामने आई थी। इसके लिए उन्होंने अखिलेश यादव से 3 बार मुलाकात भी की थी। लेकिन बसपा से निकाले गए इन्द्रजीत सरोज के सपा ज्वाइन करने की वजह से सिद्दीकी को बाहर ही रहना पड़ा।
– अगर कांग्रेस की बात करें तो पार्टी इस समय बड़े जनाधार वाले नेताओं को जोड़ रही है और कांग्रेस में जाने का फैसला सिद्दीकी की मजबूरी है।
– कांग्रेस में रह कर वह अपनी राजनीति कर सकते हैं, लेकिन पार्टी जो सॉफ्ट हिंदुत्व का माहौल अपना रही है, उसके मुताबिक सिद्दीकी उतना एग्रेसिव होकर मुस्लिम पॉलिटिक्स नहीं कर पाएंगे। हालांकि, इस फैसले से कांग्रेस और सिद्दीकी दोनों को ही फायदा पहुंचेगा।

माया पर क्या थे नसीमुद्दीन के आरोप?
– सिद्दीकी ने प्रेस कांफ्रेंस करके मायावती पर 50 करोड़ रुपए मांगने, मुसलमानों को गद्दार कहने समेत कई आरोप लगाए थे।
– उन्होंने माया से बातचीत के कुछ ऑडियो टेप जारी किए और दावा किया कि उनके पास बीएसपी सुप्रीमो से बातचीत के ऐसे 150 क्लिप हैं। सिद्दीकी ने कहा- अगर मैं ये सारे टेप जारी कर दूं तो मेरा मर्डर करा दिया जाएगा।
– सिद्दीकी के आरोपों पर मायावती ने कहा था, वो एक ब्लैकमेलर और पैसा उगाहने वाला शख्स है। बसपा की हार के लिए भी नसीमुद्दीन ही जिम्मेदार है।

कौन हैं नसीमुद्दीन सिद्दीकी?
– बांदा जिले के सेवरा गांव के रहने वाले हैं। वॉलीबॉल में नेशनल लेवल के प्लेयर के अलावा रेलवे कॉन्ट्रैक्टर भी रहे।
– 1988 पॉलिटिकल कॅरियर शुरू किया। इसी साल बीएसपी से जुड़े। 1991 में पहली बार विधायक चुने गए। 1993 में हार गए थे। मायावती 1995 में पहली बार सीएम बनीं। नसीमुद्दीन कैबिनेट मंत्री बने। 1997 और 2002 में भी मंत्री रहे। 13 मई 2007 से 7 मार्च 2012 तक मायावती की फुल टाइम गवर्नमेंट में भी मंत्री रहे।
– 29 साल बाद 10 मई 2017 को मायावती ने पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में नसीमुद्दीन और उनके बेटे अल्ताफ को बाहर कर दिया।

विवादों से रहा है नाता
– पिछले साल नसीमुद्दीन ने बीजेपी नेता दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह और बच्चों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था। स्वाति ने उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था। स्वाति फिलहाल, योगी कैबिनेट में मंत्री हैं।

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