Friday, March 29, 2024
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आदित्यनाथ के करीबी बताए जाते हैं गोरखपुर में मीडिया बैन पर घिरे डीएम, जानिए रिपोर्ट…

SI News Today

गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव की मतगणना के दौरान मीडिया कवरेज रोकने के चलते सुर्खियों में आए डीएम राजीव रौतेला का विवादों से पुराना नाता रहा है। रामपुर में चाहे अवैध खनन के बावजूद स्टोन क्रेसर का लाइसेंस नवीनीकरण करने का मामला हो या फिर अलीगढ़ के एक कार्यक्रम में शहीदों के परिवार को लेकर गलत बयान की। हमेशा राजीव रौतेला खबरों में रहे। पिछले साल मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के महीने भर बाद ही राजीव रौतेला को गोरखपुर का डीएम बनाया गया था। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री के सूबे उत्तराखंड का निवासी होने के कारण योगी आदित्यनाथ के करीबी हैं। इस नात उन्हें योगी आदित्यनाथ की पसंद पर गोरखपुर का डीएम बनाया गया। हाल में यूपी सरकार की ओर से जब राजनीतिक विद्वेषपूर्ण मुकदमों को वापस लेने का फैसला हुआ तो डीएम राजीव रौतेला ने योगी पर 1995 में मुस्लिमों के खिलाफ विवादित भाषण देने के आरोप में दर्ज केस को हटाने की संस्तुति की थी। यह मामला भी चर्चा-ए-खास रहा था।

शहादत पर मांगते हैं पेट्रोल पंपः अलीगढ़ में डीएम रहते राजीव रौतेला 2013 में शहीदों के परिवार को लेकर गलतबयानी कर विवादों में घिरे। उन्होंने कहा था कि हमारे देश में जवान शहीद होते हैं तो परिवार वाले कहते हैं कि जब तक नेता नहीं आएंगे, 50 लाख रुपये नहीं मिलेंगे, पेट्रोल पंप नहीं देंगे, सड़क नहीं बनवाएंगे, लाश तक उठने नहीं देंगे। राजीव रौतेला के इस बयान पर पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवार वालों ने आक्रोश जताया था। बाद में रौतेला ने अपनी सफाई में कहा था कि उनके बयान को तोड़मरोड़कर पेश किया गया।

अवैध खनन पर कोर्ट दे चुका है निलंबन का आदेशः मामले में राजीव रौतेला और कानपुर के तत्कालीन डीएम राकेश कुमार के निलंबन का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट नेआदेश दिया था। आरोप था कि रामपुर में डीएम रहते हुए दोनों आईएएस अफसरों ने खनन को बढ़ावा दिया। राजीव रौतेला पर आरोप था कि उन्होंने शिकायत के बाद भी रामपुर में स्टोन क्रेसर के लाइसेंस का नवीनीकरण किया। हालांकि शासन ने उनका निलंबन नहीं किया। पिछले साल आक्सीजन से बच्चों की मौत की घटना के वक्त भी राजीव रौतेला ही गोरखपुर के डीएम रहे। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में फर्म पर आक्सीजन सप्लाई न करने का दोषी ठहराया था, जबकि फर्म का कहना था कि ऐसी कोई बात नहीं। डीएम ने बकाए भुगतान को लेकर लिखे गए उसके पत्र का संज्ञान ही नहीं लिया।

सपा के पत्र पर आयोग एक्शन मेंः गोरखपुर में सपा प्रत्याशी की बढ़त के दौरान पोलिंग एजेंट्स और मीडियाकर्मियों को सेंटर से बाहर करने को लेकर हंगामा मचा था। मीडिया में खबरें चलने के बाद डीएम ने फिर मतगणना बढ़त की सूचना देनी शुरू की। डीएम ने सूचना में देरी के पीछे सुस्त मतगणना होने की बात कही थी। इस मामले में समाजवादी पार्टी ने आयोग को पत्र लिखकर डीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उधर यह मामला विधानसभा में भी उठा और सपा के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। उधर मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुस्त मतगणना और नतीजे देरी से जारी किए जाने पर चुनाव आयोग ने डीएम से जवाब-तलब किया है।

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