लखनऊ: उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटें गंवाने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली तलब किया है। कुछ देर बाद दोनों की मीटिंग होगी। हालांकि, योगी पहले ही कह चुके हैं कि उनकी परंपरागत गोरखपुर सीट पर भाजपा अति-आत्मविश्वास की वजह से हारी।
योगी ने की सालभर के काम की समीक्षा
– 14 मार्च को उपचुनाव के नजीजे आए थे। 15 मार्च को योगी ने अपने सभी कार्यक्रमों रद्द कर अफसरों के साथ मैराथन मीटिंग की थी। एक साल में लागू की गई योजनाओं की रिपोर्ट मांगी। अपने काम की समीक्षा की।
आधी रात को किए 37 आईएएस अफसरों के तबादले
– 16 मार्च को योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट बैठक बुलाई थी। इसमें 18 अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी। देर रात 37 आईएएस अफसरों के तबादले कर दिए। इनमें गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला का नाम भी शामिल है। उन पर काउंटिग के दिन गड़बड़ी करने का आरोप लगा था।
कौन-कितने वोट से जीता?
फूलपुर: सपा के नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को 3 लाख 42 हजार 796 और भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 2 लाख 83 हजार 183 वोट मिले। नागेंद्र पटेल 59 हजार 613 वोटों से जीते।
गोरखपुर: सपा के प्रवीण निषाद को 4 लाख 56 हजार 513 वोट मिले। भाजपा कैंडिडेट उपेंद्र शुक्ल को 4 लाख 34 हजार 632 वोट मिले। निषाद 21 हजार 881 वोटों से जीते।
इन नतीजों के सियासी मायने क्या हैं?
– 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड जीत के बाद योगी को पीएम कैंडिडेट बताने वालों को झटका। मोदी-अमित शाह के सामने अब योगी झुके रहेंगे। अगले लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट्स की पसंद केंद्रीय नेतृत्व पर ज्यादा निर्भर रहेगी।
– ये 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं। अगर पूरे प्रदेश में सपा-बसपा तालमेल करते हैं और कांग्रेस भी उनके साथ आती है तो भाजपा के लिए पिछली बार की 71 सीटों की रिकॉर्ड जीत को दोहराना बेहद मुश्किल होगा।
– अगर 2014 के नतीजों में सपा-बसपा के वोटों को मिला दें तो भाजपा की सीटें 71 से घटकर 37 और सपा-बसपा की सीटें बढ़कर 41 हो जाती हैं। इसमें भी अगर कांग्रेस के वोट मिला दें तो भाजपा की सीटें 71 से घटकर 24 ही रह जाती हैं।
– यूपी से सबक लेते हुए अन्य राज्यों में गैर-भाजपाई दल एक हो जाएं तो भाजपा के मिशन 2019 को चुनौती दे सकते हैं। दोनों उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। सोनिया-राहुल की परंपरागत सीटों को छोड़कर उसके पास राज्य में बसपा-सपा से तालमेल करने के अलावा विकल्प नहीं है।