Tuesday, March 26, 2024
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जिम्नास्ट पात्रा पदक जीतकर जिंदगी बनाना चाहते हैं बेहतर…

SI News Today

भारतीय जिम्नास्ट राकेश पात्रा कॉमनवेल्थ गेम्स में ना सिर्फ खुद को साबित करने के लिए पदक जीतने को बेताब हैं, बल्कि इससे वह आर्थिक रूप से भी मजबूत बनना चाहते हैं. इस 26 वर्षीय कलात्मक जिम्नास्ट को भारतीय जिम्नास्टिक महासंघ और भारतीय ओलंपिक संघ के बीच चल रही तनातनी के कारण पहले टीम में नहीं चुना गया था. इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद उन्हें टीम में रखा गया.

काफी मुश्किल रहा है पात्रा का यहां तक का सफर
ओडिशा के रहने वाले और विश्व कप के फाइनलिस्ट पात्रा की अब तक की यात्रा काफी मुश्किल रही है. जब वह पांच साल के थे तब उनका घर आग की भेंट चढ़ गया था, लेकिन ब्रहमगिरी में प्राइमरी स्कूल के शिक्षक उनके पिता दयानिधि पात्रा ने अपने बेटे को खिलाड़ी बनाने के लिए अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी. भारतीय नौसेना में कार्यरत पात्रा ने मुंबई से कहा, ‘उन्हें लगभग 400 रूपये महीना मिलता था जिसमें से आधा वह मुझ पर खर्च कर देते थे. मैंने उन्हें भूखे पेट सोते हुए भी देखा है. मुझे अब भी उस दर्द का अहसास होता है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरे चाचा और कोच ने मेरे पिताजी से कहा कि जिम्नास्टिक में मेरा भविष्य है. शिक्षक होने के बावजूद मेरे पिताजी ने मेरा पूरा सहयोग किया. जिम्नास्ट बनने के लिए मुझे जो कुछ चाहिए था वह मुझे मुहैया कराया गया.’

पांच विश्व चैंपियनशिप में ले चुके हैं हिस्सा
पात्रा 2010 कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों से भारतीय टीम का हिस्सा हैं. वह पांच विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुके हैं, लेकिन शीर्ष स्तर पर पदक से अब तक वंचित हैं. उन्होंने कहा, ‘इसका मुझे अब भी खेद है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में चीजें बदलेंगी,’ पिछले महीने मेलबर्न में विश्व कप में पात्रा फाइनल्स में पहुंचे तथा जापान और चीन के प्रतिद्वंद्वियों के बाद चौथे स्थान पर रहे. गोल्ड कोस्ट में ये दोनों देश भाग नहीं लेंगे और ऐसे में पात्रा की पदक जीतने की उम्मीद बढ़ गई है.

गोल्ड कोस्ट में सर्वश्रेष्ठ का वादा
उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि अगर प्रतियोगिता के दिन अच्छा प्रदर्शन करता हूं तो पदक जीतने में सफल रहूंगा. मैं धीरे-धीरे सर्वश्रेष्ठ तक पहुंच रहा हूं. अभी 20 दिन बचे हैं और उम्मीद है कि कॉमनवेल्थ खेलों में मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा. मुझे इंग्लैंड और कनाडा की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा.’

एक साल से नहीं गए हैं घर
पात्रा पिछले एक साल से घर नहीं गए हैं, क्योंकि उनके माता पिता चाहते हैं कि वह अपने प्रशिक्षण पर ध्यान दें. उन्होंने कहा, ‘मैं घर जाकर अपने पिताजी की साइकिल को हटाकर उसके बदले उन्हें स्कूटर देना चाहता था. लेकिन उन्होंने मेरी बात ठुकरा दी और कहा कि पहले पदक जीतो और फिर आओ. मैं नहीं चाहता कि उनकी कठिन तपस्या बेकार जाए.’

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