Friday, March 29, 2024
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हुसैन हक्कानी: लड़ाकू देश या चीन की कठपुतली न बने पाक…

SI News Today

अमेरिका में इस्लामाबाद के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कहा है कि पाकिस्तान को ‘लड़ाकू देश’ बनने के बजाए ‘कारोबारी देश’ बनना चाहिए. सुनिश्चित करना चाहिए कि वह चीन की कठपुतली न बने.

हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान को इस बारे में विचार करने की आवश्यकता है कि हाफिज सईद का समर्थन करना है या फिर अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता हासिल करनी है. दोनों में क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है, उसे तय करना होगा.

पहले से ही मजबूत चीन-पाक संबंधों के और मजबूत होने के बीच हक्कानी ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान को चीन पर निर्भर रहने की तरफ नहीं जाना चाहिए. उसे ‘चीन की कठपुतली’ बनने से दूर रहना चाहिए.

आत्मनिर्भर बने पाकिस्तान, दूसरों के इशारे पर न चले
इस्लामाबाद को एक बड़ी शक्ति के साथ जुड़ने के खतरों के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था’ बनने की आवश्यकता है.

हक्कानी 2008 से 2011 तक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत थे. पिछले सप्ताह अपनी नई किताब ‘रीइमेजिनिंग पाकिस्तान : ट्रांसफार्मिंग ए डिस्फंक्शनल न्यूक्लियर स्टेट’ के विमोचन के लिए भारत आए हक्कानी ने कहा कि इस्लामाबाद को आर्थिक क्षेत्र सहित ‘अपनी समूची दिशा पर पुनर्विचार’ की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘खुद को किसी एक बड़ी शक्ति या दूसरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने की अनुमति देकर अपनी रणनीतिक स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश ने पाकिस्तान को वर्तमान स्थिति में ला खड़ा किया है और हम यह खेल खेलना जारी रखते हैं तो भविष्य में परिणाम कोई बहुत भिन्न नहीं होने जा रहा है.’

भारत जितना अमेरिका के करीब जाएगा, पाक उतना ही चीन के करीब जाएगा
उनकी टिप्पणी का काफी महत्व है क्योंकि जनवरी में अमेरिका ने यह आरोप लगाते हुए पाकिस्तान को दी जाने वाली 1.15 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता रोक दी थी कि वह अफगान तालिबान और अफगान गुरिल्ला समूह हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों को शरण दे रहा है.

यह पूछे जाने पर कि क्या आतंक के खिलाफ अमेरिका का कड़ा रुख इस्लामाबाद को बीजिंग के साथ एक मजबूत सैन्य गठबंधन की ओर ले जाएगा , हक्कानी ने कहा कि जितना अमेरिका और भारत करीब आएंगे , उतना ही पाकिस्तान चीन के साथ अपने संबंधों को मजूबत करने की कोशिश करेगा.

कश्मीर के मुद्दे पर हक्कानी ने कहा, ‘यह एक हकीकत है कि कश्मीर समस्या का समाधान 70 साल में नहीं हुआ है. यदि पाकिस्तान भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में बढ़ने से पहले कश्मीर समस्या के समाधान पर जोर देता है तो 70 साल और इंतजार करना पड़ेगा.’

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