महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार उतारने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा कर सबको चौंका दिया है। ओवैसी ने विधानसभा चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल सेक्युलर (JDS) का साथ देने का ऐलान किया है। मुस्लिम बहुल इलाकों में JDS को इसका फायदा मिल सकता है। AIMIM प्रमुख ने कहा, ‘हमलोग आगामी कर्नाटक विधनसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। AIMIM चुनावों में JDS का समर्थन करेगी और उसके पक्ष में प्रचार अभियान भी चलाएगी। हम समझते हैं कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियां (कांग्रेस और बीजेपी) पूरी तरह से फेल रही हैं।’
कर्नाटक विधानभा चुनावों को लेकर AIMIM की घोषणा के बाद ओवैसी पर वोट काट कर भाजपा को फायदा पहुंचाने के आरोप लगने लगे हैं। हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा, ‘वोट काट कर भाजपा को फायदा पहुंचाने का आरोप निराधार है। हमने गुजरात, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं लड़ा था। हम उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भी मैदान में नहीं थे। वहां कांग्रेस को क्या हुआ था?’ ओवैसी की पार्टी ने महाराष्ट्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। इसके बाद पार्टी ने बिहार और उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था। उस वक्त भी AIMIM पर वोट काटकर भाजपा को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा समेत JDS भी पूरे जोर-शोर से चुनाव प्रचार अभियान में जुटा है। कांग्रेस के प्रचार अभियान की अगुआई मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कर रहे हैं, जबकि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस. येदियुरप्पा को सीएम को चेहरा बनाकर मैदान में उतरी है। वहीं, JDS की ओर से एचडी देवेगौड़ा और उनके बेटे एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी. कुमारास्वामी ने प्रचार अभियान का जिम्मा संभाल रखा है। JDS का वोक्कालिगा समुदाय पर अच्छी पकड़ है। वहीं, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार येदियुरप्पा खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं। इस समुदाय का राज्य की 124 सीटों पर प्रभाव माना जाता है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चुनाव की तिथि घोषित होने से कुछ दिन पहले लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने की की घोषणा की थी। यह प्रस्ताव फिलहाल केंद्र के पास लंबित है। इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदाय में भी कांग्रेस की अच्छी पैठ मानी जाती है। बता दें कि कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है।