Friday, March 29, 2024
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मस्जिद ब्लास्ट केस में अदालत के फैसले पर बोले ओवैसी- नहीं हुआ इंसाफ…

SI News Today

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को आरोप लगाया कि 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले को आतंकवाद निरोधक जांच एजेंसी एनआईए ने सही तरीके से अदालत में नहीं रखा. हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ओवैसी ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर आरोप लगाए कि मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में अधिकतर गवाह जून 2014 के बाद से मुकर गए और एनआईए ने या तो मामले को ठीक तरीके से अदालत में नहीं रखा जैसा कि उससे उम्मीद की जा रही थी या उसे राजनैतिक आकाओं ने ऐसा नहीं करने दिया.

ओवैसी ने उठाए जांच पर सवाल
ओवैसी ने कहा कि ‘‘मामले में न्याय नहीं हुआ है. अगर इस तरह से पक्षपातपूर्ण अभियोजन जारी रहा तो आपराधिक न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े होंगे.’’ओवैसी ने कहा, ‘‘न्याय नहीं हुआ है. एनआईए और मोदी सरकार ने जमानत के खिलाफ अपील नहीं की जो आरोपियों को 90 दिन के अंदर दे दी गई. यह पूरी तरह पक्षपातूपर्ण जांच थी जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे संकल्प को कमजोर करेगी.’’

मक्का विस्फोट मामले में अदालत ने पांच आरोपियों को बरी किया
बता दें कि हैदराबाद में आतंकवाद रोधी विशेष अदालत ने मक्का मजिस्द में 2007 में हुए विस्फोट कांड में दक्षिणपंथी कार्यकर्ता स्वामी असीमानंद और चार अन्य को सोमवार को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन उनके खिलाफ मामला साबित करने में नाकाम रहा है. मक्का मस्जिद में 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान एक बड़ा विस्फोट हुआ था जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 अन्य जख्मी हो गए थे.

एनआईए की एक मेट्रोपोलिटन अदालत के फैसले के बाद असीमानंद के वकील जे. पी. शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ अभियोजन मुकदमे का सामना करने वाले पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा. इसलिए अदालत ने उन्हें बरी कर दिया.’’

शर्मा ने बताया कि बरी हुए आरोपियों में देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नब कुमार सरकार, भरत मोहनलाल रतेश्वर उर्फ भरत भाई और राजेंद्र चौधरी शामिल हैं. इस मामले की शुरूआती जांच स्थानीय पुलिस ने की थी और फिर इसे सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था. इसके बाद 2011 में देश की प्रतिष्ठित आतंकवाद रोधी जांच एजेंसी एनआईए को यह मामला सौंपा गया.

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