Friday, March 29, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई ‘पद्मावत’ के अंतिम सीन को हटाने की मांग!

SI News Today

सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म ‘पद्मावत’ से जौहर का दृश्य हटाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. ये याचिका सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने दायर की थी. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कई सवाल पूछे. सीजेआई दीपक मिश्रा ने पूछा कि “क्या आप समझते हैं कि फिल्म देख कर कोई महिला सती हो जाएगी?” क्या आप कहेंगे कि देवदास देख कर लोग शराबी बन गए? दरअसल, स्वामी अग्निवेश ने अपनी याचिका में कहा था कि फिल्म का वह दृश्य सामाजिक बुराईयों को बढ़ावा देने वाला है.

क्या कोई प्रेमी मूवी देखकर शराबी बना है?: SC
सीजेआई दीपक मिश्रा ने फिल्म पद्मावत के आखिरी सीन (जौहर का दृश्य) को हटाने की मांग को ठुकराते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि आपको लगता है कि कोई फिल्म को देखकर सती होगा. इन सालों में महिला सशक्तिकरण आगे बढ़ चुका है. स्वामी अग्निवेश के वकील महमूद प्राचा ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा कि लेकिन ये फिल्म सती को बढ़ावा देती है, लोगों को ऐसा करने के लिए उकसा सकती है. जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या आपने देवदास मूवी देखी है, ये किताब 1934 में लिखी गई थी और उस पुस्तक को लेकर बहुत सारी मूवी बन चुकी हैं. पहले बंगाली और फिर हिंदी में भी, क्या कोई प्रेमी मूवी देखकर शराबी बना है. वकील महमूद प्राचा ने जवाब में कहा कि हां माई लॉर्ड, मैं कुछ ऐसे दोस्तों को जानता हूं जो शराबी बन गए. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने मुस्कराते हुए कहा कि खुद शरत चंद्रा ने कभी शराबी होने को सही नहीं ठहराया.

याचिका में सती प्रथा प्रिवेंशन एक्ट 1987 का उल्लंघन का था आरोप
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने फिल्म ‘पद्मावत’ पर सती प्रथा प्रिवेंशन एक्ट 1987 का उल्लंघन करते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि फिल्म पद्मावत में सती प्रथा को बढ़ावा दिया गया है, जो प्रिवेंशन एक्ट का खुलेआम उल्लंघन है. क्योंकि फिल्म में जिस प्रकार से सती प्रथा का महिमामंडन किया गया है, उससे रूढ़िवादी विचारों को बल मिला है. सती प्रथा के खिलाफ आर्यसमाज समेत कई जन-संगठनों ने एक जोरदार आंदोलन चलाया था, जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने सती प्रथा प्रिवेंशन एक्ट को संसद में पारित कर कानून की शक्ल दी थी. इस एक्ट के तहत नारी उत्पीड़न को रोकने के लिए काफी प्रभावी कदम उठाए गए हैं. ऐसे में फिल्म पद्मावत ने एक बार फिर से सती प्रथा जैसी कुरीतियों को हवा दी है.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी खारिज की याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म पद्मावत में सती प्रथा के महिमामंडन करने और उसके निर्माता-निर्देशक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता को उचित समय पर केंद्रीय बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन से संपर्क करना था. हाईकोर्ट ने कहा था कि फिल्म बिना किसी शिकायत के रिलीज हो चुकी है और यह पहले से ही जनता के बीच है. याचिका में कोई दम नहीं है. इसलिए इसे खारिज किया जाता है. गौरतलब है कि स्वामी अग्निवेश ने हाईकोर्ट से भी मांग करते हुए पद्मावत में सती प्रथा से जुड़े दृश्यों को हटाने की मांग की थी.

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