Wednesday, April 17, 2024
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आर्मी जनरल: कश्‍मीर में जो आतंकी सरेंडर करना चाहते हैं! वे कहते हैं कि प्‍लीज बस ये शब्‍द मत बोलिए…

SI News Today

आर्मी जनरल बिपिन रावत ने कश्‍मीर जारी हिंसा और आतंकियों के मसले पर कहा है कि इस वक्‍त घाटी में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. उन्‍होंने कहा कि जो आतंकी सरेंडर करना चाहते हैं, वे हमसे कहते हैं कि प्‍लीज ये मत बोलिए कि हमने सरेंडर किया है. जनरल बिपिन रावत ने एक इंटरव्‍यू में कहा, ”वे चाहते हैं कि ऐसा नहीं दिखना चा‍हिए कि उन्‍होंने सरेंडर किया. वे यह भी नहीं चाहते कि हम कहें कि उनको पकड़ा गया. वे चाहते हैं कि एनकाउंटर के दौरान वे घायल हो गए और इस कारण पकड़े गए. दरअसल उनमें भी भय है, वर्ना और क्‍या वजह हो सकती है?”

इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि जो युवा कश्‍मीर में आजादी का ख्‍वाब देख रहे हैं, उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा क्‍योंकि वे सेना से नहीं लड़ सकते. उन्‍होंने कहा, ”ये जिन युवाओं ने हमारे खिलाफ बंदूक उठाई है, वास्‍तव में वे हमारे लिए चुनौती ही नहीं हैं. आतंकी भी हमारे लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं हैं. हम आम लोगों से कहते हैं कि हमारे ऑपरेशन में बाधा मत डालिए, हम पर पत्‍थर मत फेंकिए.” उन्‍होंने कहा, ”हमने हाल में एक जगह एक ऑपरेशन को इसलिए अधूरा छोड़ दिया ताकि हालात ज्‍यादा नहीं बिगड़ें लेकिन जब हम वहां से हटे तो जवानों पर दूसरी जगह दूसरे घर से हमला हो गया. इसमें एक जेसीओ घायल भी हो गया और वह अभी भी अस्‍पताल में है.”

जनरल रावत ने कहा कि हाल में उन्‍होंने शांति बहाली की कोशिशों के तहत लोगों से आगे आने की अपील की लेकिन 15 अप्रैल को जब यह घोषणा की गई तो उसी दिन शाम को हमारे जवानों पर हमला हो गया. लोगों को वास्‍तव में घाटी में शांति के लिए आगे आना चाहिए तो हम भी आगे बढ़ सकें.

लहराए जाते हैं IS झंडे
जनरल रावत ने यह भी कहा, ”कश्‍मीर में कई युवा आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट(आईएस) के झंडे उठाते हैं. क्‍या आपको इसका मतलब भी पता है? क्‍या आप कश्‍मीर का तालिबानीकरण करना चाहते हैं? क्‍या उस तरह के समाज में रहना चाहते हैं? ये युवा लोग दरअसल इसका मतलब ही नहीं समझते…कोई न कोई तो इनको उकसा ही रहा है.”

मेजर लीतुल गोगोई का समर्थन
पिछले साल बडगाम में चुनाव वाले दिन मेजर लीतुल गोगोई द्वारा आत्‍मरक्षा में एक कश्‍मीरी आदमी को अपनी जीप पर मानव शील्‍ड के रूप में बांधने का समर्थन करने के मसले पर जनरल रावत ने कहा कि मेजर के पास उस वक्‍त यही एकमात्र विकल्‍प था. यदि वह ऐसा नहीं करते तो पत्‍थरबाजों की भीड़ पर उनको गोलियां चलानी पड़तीं. जनरल रावत ने कहा, ”वह (मेजर लीतुल) गोलियां चला सकते थे, इसमें लोग मारे जाते. इसके बजाय उन्‍होंने मौजूदा परिस्थितियों से निपटने के लिए सर्वश्रेष्‍ठ विकल्‍प को चुना…इस पर मामले की तहकीकात करने के बजाय उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई. मेरे अधिकारी ने सोचा कि उसको इसका सामना करने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है. मैं नहीं चाहता कि मेरे ऑफिसर के मन में इस तरह का कोई भाव आए.

विकास पर पड़ रहा असर
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कश्‍मीर के लोगों को यह समझना चाहिए कि इन अवरोधों का असर विकास पर पड़ रहा है. उन्‍होंने कहा, ”पर्यटन पर इसका बेहद बुरा असर पड़ा है. हाउसबोट और गेस्‍टहाउस खाली पड़े हैं. वे लोग क्‍या खाएंगे जब कुछ कमाएंगे नहीं?” इस कड़ी में उन्‍होंने यह भी कहा, ”बहुत जल्‍दी कश्‍मीर घाटी को पूरे भारत से जोड़ने वाली एक ट्रेन शुरू होने वाली है. कल्‍पना कीजिए लोगों की जिंदगियों में इसका कितना बड़ा असर होगा. सोपोर में सेब उगाने वाले अपने माल को बिना किसी परेशानी के देश के किसी भी हिस्‍से में इसे भेज सकेंगे. लोगों को विकास की यह बात समझनी चाहिए और आभार प्रकट करना चाहिए क्‍योंकि ये दो-तरफा प्रकिया है.”

कश्‍मीर में पिछले दिनों आतंकियों के एनकाउंटर के बाद भड़की हिंसा में पत्‍थरबाजों के हमले में एक पर्यटक की मौत के बाद राज्‍य के हालात पर बोलते हुए आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि कश्‍मीरी युवाओं को सीधी तौर पर यह बात समझने की जरूरत है कि यदि आप किसी ‘आजादी’ की कल्‍पना कर रहे हैं तो वैसा कुछ होने वाला नहीं है क्‍योंकि आप हमारी सेना से लड़ नहीं सकते.

कश्‍मीर में आजादी का ख्‍याल कोरी कल्‍पना
घाटी में एक असिस्‍टेंट प्रोफेसर के आतंकी बनने और एनकाउंटर में मारे जाने जैसी घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए जनरल बिपिन रावत ने कहा, ”यह चिंता की बात है कि कश्‍मीरी युवा बंदूक उठा रहे हैं…और जो लोग उनसे कह रहे हैं कि ये रास्‍ता उनको आजादी की तरफ ले जाता है…वो वास्‍तव में उनको भ्रमित कर रहे हैं.” इसके साथ ही जनरल रावत ने कहा, ”मैं कश्‍मीरी युवा से कहना चाहता हूं कि आजादी संभव नहीं है. ऐसा कभी नहीं होगा…आप बंदूक क्‍यों उठा रहे हैं? हम हमेशा उनसे लड़ते रहेंगे जो आजादी के ख्‍वाहिशमंद और पृथकतावादी हैं. आजादी जैसा कुछ कभी भी होने वाला नहीं है.”

जनरल रावत ने कहा कि वह इस बात को बहुत महत्‍व नहीं देते कि सेना के साथ एनकाउंटर में कितने आतंकी मारे गए हैं? उनके मुताबिक, ”ये संख्‍याएं इसलिए मेरे लिए मायने नहीं रखतीं क्‍योंकि ये चक्र लगातार चलता रहेगा. नए आतंकियों को भर्ती किया जाएगा. मैं जोर देकर केवल यह कहना चाहता हूं कि इन सबके जरिये कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है. आप सेना से नहीं लड़ सकते.”

बुरहान वानी
सेना की मौजूदा नीति के बारे में बोलते जनरल रावत ने कहा कि आर्मी ने पहले सॉफ्ट नीति भी अपनाई. जून, 2016 तक सब शांतिपूर्ण रहा. उसके बाद एक एनकाउंटर (हिजबुल आतंकी बुरहान वानी) से हालात बदल गए. उसके चलते कुछ ही दिनों में सब चीजें बदल गईं. पूरा दक्षिण कश्‍मीर सड़कों पर उतर आया. हमारे ऊपर पत्‍थरबाजी होने लगी और हमारी पोस्‍ट पर हमले शुरू हो गए. उसी साल अक्‍टूबर-नवंबर तक मुझे ये संदेश मिलने लगे कि लोग कह रहे हैं कि आजादी अब दूर नहीं है. कुछ लोग उनसे कह रहे थे कि आजादी अब जल्‍दी मिलने वाली है. हमारे पोस्‍ट पर नियमित हमले होने लगे. हमारे लोगों पर पत्‍थरबाजी होने लगी. हमें परिस्थितियों को अपने नियंत्रण में लाना पड़ा. हम इसको सहन नहीं कर सकते. हमें लोगों को यह बताने की जरूरत है कि आजादी जैसा कुछ भी नहीं होने वाला है…ये कोई पहला एनकाउंटर तो था नहीं. मैं अभी तक यह समझ की कोशिश कर रहा हूं कि लोगों में इतना गुस्‍सा कहां से आया. युवा पाकिस्‍तानी जाल में फंस गए. उनको लगातार हम पर हमले के लिए उकसाया जाता है.”

जनरल रावत ने इसके साथ ही यह भी कहा कि वह यह समझते हैं कि इस मुद्दे का सैन्‍य समाधान संभव नहीं है. उन्‍होंने कहा, ”इसलिए हम चाहते हैं कि राजनेता और राजनीतिक प्रतिनिधि खासकर दक्षिण कश्‍मीर के गांवों में जाकर वहां के लोगों से बात करें. लेकिन हमले की आशंका के कारण उनको वहां जाने से डर लगता है…एक बार शांति स्‍थापित होने के बाद यह संभव होगा और हमें भरोसा है कि लोगों को जब लगेगा कि ये सब बेफिजूल है तो वे दूसरी तरह से सोचना शुरू करेंगे.”

मिलिट्री ऑपरेशन रोकने को तैयार
जनरल रावत ने यह भी कहा कि ऑपरेशन के दौरान नागरिक क्षति होने की स्थिति में वह मिलिट्री ऑपरेशन को रोकने के लिए भी तैयार हैं लेकिन साथ ही जोड़ा, ”लेकिन इस बात की गारंटी कौन देगा कि हमारे जवानों और गाडि़यों पर हमला नहीं होगा? इस बात की गारंटी कौन देगा कि जब हमारे पुलिसकर्मी, जवान, राजनीतिक कार्यकर्ता छुट्टियों में घर जाएंगे तो उन पर हमले नहीं होंगे? उनको मारा नहीं जाएगा?…छुट्टियों में गए हमारे निहत्‍थे जवानों पर हमला किया जाता है…लेफ्टिनेंट उमर फयाज का केस याद कीजिए. हमने उनको शहीद करने वालों को मार गिराया लेकिन इसके लिए हमको अपने चार जवानों की शहादत देनी पड़ी. पुलिसकर्मियों पर नियमित रूप से हमला किया जाता है. राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्‍या की जा रही है…जब हमारे ऊपर पत्‍थर फेंका जाता है…गोली चलाई जाती है…तो हमारे पास उसका कठोरतम जवाब देने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं बचता…जो हमसे लड़ना चाहते हैं, हम उनसे लड़ेंगे.”

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