आपकी बेटी किसी सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही है तो जरा सावधान हो जाएं कहीं उसे हर दिन लोटा परेड ना करनी पड़ रही हो. ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे बल्कि मध्यप्रदेश के दमोह जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जहां लड़कियां हर दिन शौच के लिए दो किलोमीटर की लोटा परेड करने को मजबूर हैं.
सुबह पहाड़ी रास्तों से होते हुए कतार बनाकर ये मासूम बेटियां रोज हाथ में लोटा और प्लास्टिक के डिब्बे लेकर शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं. ये आलम एक दो दिन का नहीं, बल्कि गर्मी के दिनों में ये आफत भरा काम इन्हें हर रोज करना पड़ रहा है. सरकारी सिस्टम को शर्मसार कर देने वाली ये खबर दमोह जिले के मड़ियादो की है, जहां सरकारी बालिका छात्रावास में रहने वाली छात्राएं हर रोज इसी तरह लोटा परेड का हिस्सा बन रही हैं. सुबह होती है तो हॉस्टल की वार्डन लड़कियों को नींद से उठाती है और फिर सारी लड़कियां हॉस्टल के मैदान में जमा होकर लाइन लगाती है और फिर हॉस्टल से तकरीबन दो किलोमीटर दूर बने एक नाले की तरफ निकल पड़ती है. नाला और उसका पानी इन मासूमों की शौच और नहाने-धोने के अलावा कपड़े धोने के काम आता है.
बोरवेल गर्मी की शुरुआत में ही ठप्प
दरअसल, ये हालात गर्ल्स हॉस्टल में पानी न होने की किल्लत की वजह से है. सरकार ने मड़ियादो में गर्ल्स हॉस्टल बनवाया तो पानी के लिए दो बोरवेल भी लगवाए थे. लेकिन गर्मी के शुरुआती दिनों में ही बोरवेल ठप्प पड़ गए हैं और फिर यहां रह रही सौ से ज्यादा लड़कियों के लिए गर्मी किसी आफत से कम नहीं होती. पीने के लिए जैसे-तैसे हॉस्टल प्रबंधन पानी का इंतज़ाम तो कर लेता है लेकिन लड़कियों की शौच और दैनिक उपयोग के पानी का प्रबंध नहीं हो पाता.
अफसरों की नजरअंदाजी
हॉस्टल की वार्डन के मुताबिक यहां बने दोनों बोरवेल के पानी ना देने की वजह से ये काम उन्हें मजबूरी में करना पड़ता है. इन हालात के बारे में जिले के अफसर भी परिचित हैं बल्कि लड़कियों की इस लोटा परेड की जानकारी कई दफा हॉस्टल की वार्डन ने भी की है, लेकिन अफसरों की तरफ से कोई जवाब नहीं मिलता. वार्डन साफ कहती है कि इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान के आला अफसरों को बताया गया लेकिन उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की.
कलेक्टर ने कराया पानी का इंतजाम
दूसरी तरफ जब ZEE MPCG की टीम ने इस बारे में शिक्षा विभाग के अफसरों से जानना चाहा तो वो भी कैमरे के सामने आने तैयार नहीं थे. लेकिन जिले के कलेक्टर से बात करने पर हैरान कर देने वाली बात सामने आई कि अब तक जिला अफसरों ने कलेक्टर को इस बबात कोई जानकारी ही नहीं दी है. कलेक्टर डॉ श्रीनिवास शर्मा ने के मुताबिक उन्होंने फ़ौरन हॉस्टल के अंदर पानी का इंतज़ाम करने के निर्देश दिए है ताकि मासूम लड़कियों को खुले में शौच करने के लिए ना जाना पड़े.
खुली स्वच्छ भारत अभियान की पोल
बहरहाल सरकार खुले में शौच से मुक्ति का अभियान चला रही है और प्रधानमंत्री इस मामले को लेकर संवेदनशील हैं. दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान बेटियों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर योजनाएं लाएं हैं तो लेकिन जिन बेटियों को वो भांजियां कहते नहीं थकते उनकी इस हालात के बाद सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.