Tuesday, March 26, 2024
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पाकिस्‍तान में बहू बनकर जासूसी करती आलिया भट्ट: मूवी रिव्यु

SI News Today
Movie Review

आलिया भट्ट बॉलीवुड की सबसे होनहार ‘स्‍टूडेंट’ बनकर उभरी हैं. चाहें ‘हाइवे’ की मीरा हो या फिर ‘बद्रीनाथ की दुल्‍हनिया’ की वैदही, आलिया हर किरदार को जिंदा कर देती हैं. बॉलीवुड में उनके इस बढ़ते हुए ग्राफ को देखकर इस हफ्ते रिलीज उनकी फिल्‍म ‘राजी’ से ही कुछ ऐसी ही उम्‍मीदें थीं और आलिया ने बाजी मार ली. निर्देशक मेघना गुलजार की इस बेहतरीन फिल्‍म में ‘सहमत खान’ के किरदार में आलिया ने कमाल कर दिया है. मेघना गुलजार के कसे हुए निर्देशन, जबरदस्‍त कहानी और हर किरदार के शानदार अभिनय ने ‘राजी’ को एक बेहतरीन फिल्‍म बना दिया है. विक्‍की कौशल और आलिया भट्ट की यह फिल्‍म दिल जीतने में पूरी तरह सफल रही है.

कास्‍ट: आलिया भट्ट, विक्‍की कौशल, जयदीप एहलावत, सोनी राजदान, रजित कपूर, आरिफ जकारिया
निर्देशक: मेघना गुलजार
स्‍टार: 3.5 स्‍टार

कहानी
फिल्‍म ‘राजी’ लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) हरिंदर एस. सिक्‍का के उपन्‍यास ‘सहमत’ पर आधारित है. कहानी 1971 के भारत-पाक कि बीच बुनी गई है. एक श्रीनगर का रहने वाला व्‍यापारी पाकिस्‍तान में व्‍यापार के लिए जाता है और उसके तालुकात पाकिस्‍तानी आर्मी के अधिकारियों से हैं. दरअसल यह व्‍यापारी भारतीय सैन्‍य अधिकारियों की मदद करता है और अपने मुल्‍क की हिफाजत के लिए कुछ भी करने को तैयार है. उसे भनक लगती है कि पाक, भारत के खिलाफ कोई साजिश कर रहा है और इसलिए वह अपनी बेटी सहमत (आलिया भट्ट) की शादी पाक सैन्‍य अधिकारी के बेटे (विक्‍की कौशल) से कर देता है. 20 साल की सहमत कुछ जरूरी जासूस की ट्रेनिंग लेकर पाकिस्‍तान के इस आर्मी ऑफिसर की बहू बन जाती है और उन्‍हीं के घर में रहकर जासूसी करती है. अपने इस मिशन में सहमत कितनी सफल होती है और आखिर उसका क्‍या होता है, यह जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा.

फिल्‍म में निर्देशक के तौर पर मेघना जबरदस्‍त प्रभाव छोड़ रही हैं. फिल्‍म की कहानी काफी कसी हुई और तेजी से बढ़ती है. हालांकि इंटरवेल के बाद कुछ देर के लिए यह जरूर लगता है कि अब क्‍या? आलिया भट्ट की तारीफ तो मैं सबसे पहले ही कर चुकी हूं, लेकिन अपनी एक्टिंग से लेकर आलिया के मेकअप तक की तारीफ यहां मैं करना चाहुंगी, जिसमें आलिया जबरदस्‍त लगी हैं. एक कश्‍मीरी लड़की के किरदार में उसके लुक्‍स से लेकर उसके बोलने के तरीके तक को आलिया ने शानदार तरीके से पकड़ा है. वहीं विक्‍की कौशल भी अपने किरदार में अच्‍छे लगे हैं, हालांकि ‘राजी’ सिर्फ और सिर्फ आलिया की कहानी है. एक चीज जो मुझे खटकी कि एक ऐसा घर, जहां तीन-तीन आर्मी ऑफिसर हैं, वहां घर के हर हिस्‍से में घूमकर जासूसी करना और उसे जबतक निर्देशक नहीं चाहता, कोई नहीं देखता.

इस फिल्‍म में कहानी और एक्टिंग का सबसे ज्‍यादा साथ दिया है इसके संगीत ने. चाहे गायक अरिजीत सिंह की आवाज में गाया गया गाना फिल्‍म का टाइटल ट्रैक ‘अगर दिल राजी है..’ हो या फिर हर्षदीप कौर और शंकर महादेवन का ‘दिलबरो..’, हर गाना कहानी की रूह को दर्शकों तक पहुंचा रहा है. ‘राजी’ का कोई भी गाना अचानक स्‍क्रीन पर नहीं आता, साथ ही हर गाना कहानी के साथ आगे बढ़ता है और इसके लिए पूरी तरफी गुलजार की होनी चाहिए, जिन्‍होंने अपनी कलम से यह खूबसूरत गीत लिखे हैं. इस फिल्‍म की बात जब भी जाएगी, तो इसके संगीत और गानों को जरूर याद किया जाएगा.

फिल्‍म के डायलॉग्‍स भी मजेदार हैं. सहमत कई जगह कोड भाषा में बात करती दिखती है जैसे, ‘छत टपक रही थी, मरम्‍मत कर दी.’ या ‘अगर ये गलत है, तो अपने बेटों को सरहदों पर भेजना भी गलत है..’. इस फिल्‍म में हिंदुस्‍तान है, पाकिस्‍तान है, युद्ध की बातें हैं, एक हिंदुस्‍तानी जासूस है, लेकिन यह फिल्‍म इस सब के बाद भी देशभक्ति के साथ ही मानवीय संवेदनाओं को बेहद खूबसूरती से पेश करती है. फिल्‍म का क्‍लाइमेक्‍स एक शानदार संदेश लाता है और पूरी फिल्‍म में देशभक्ति के साथ दिए गए संदेश पर फिर से सोचने के लिए जरूर मजबूर करता है. सरहदों के बीच होते युद्ध और इंसानी जिंदगी की कहानी. ‘राजी’ एक बेहतरीन फिल्म है और भारतीय सिनेमा को ऐसी और फिल्‍मों की जरूरत है.

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