Trump administration may ease the ban on arms purchase!
भारत और रूस के बीच हाल ही में एस-400 की खरीद के लिए 40 हजार करोड़ रुपये का करार हुआ था. यह अमेरिका को नागवार गुजरा और ट्रंप प्रशासन ने कड़े शब्दों में अपनी राय भी दे डाली. लेकिन साथ ही अमेरिका ने यह भी कहा कि भारत सहित अन्य देशों के रूस से हथियार खरीदने को लेकर लगाए गए प्रतिबंध पर लचीला रुख अख्तियार करने पर विचार कर रहे हैं.
हाउस आर्म्ड सर्विस कमेटी के चेयरमैन विलियम थॉर्नबेरी ने कहा कि कांग्रेस और प्रशासन दोनों को इस बात को लेकर चिंतित है कि रूस और भारत के बीच एस-400 को लेकर हुई डील हमारी ‘इंटर-ऑपरेबिलिटी’ की क्षमता को और जटिल बना सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम भारत को अपना महत्वपूर्ण सहयोगी मानते हैं.
साथ ही अमेरिका ने यह भी संकेत दिया है कि अगर एस-400 को लेकर रूस के साथ डील रद्द नहीं होती है तो ऐसे में भारत को जो आर्म्ड ड्रोन MQ-9 और अन्य उच्च तकनीक वाले उपकरण बेचने का प्रस्ताव दिया गया है उस पर इसका असर पड़ सकता है.
अमेरिका का कहना है कि चीन के भारतीय उपमहाद्वीप में चीन के दखल को कम करने के लिए भारत ‘क्मूयनिकेशन कम्पैबिलीटी एंड सेक्यूरिटी एग्रीमेंट’ (COMCASA) और बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट फॉर जिओ-स्पैटियल कॉपरेशन (BECA) जैसे द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करे.
अमेरिका का कहना है कि ‘काउंटरिंग अमेरकाज़ एडवरसरीज़ थ्रू सैंक्शन एक्ट’ (CAATSA) बहुत ज्यादा लचीला नहीं है. इसीलिए पिछले हफ्ते हाउस में ‘नेशनल डिफेंस ऑथराइज़ेशन बिल, 2019’ पास किया गया है. यह कानून ज़्यादा लचीला है.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने के आरोप में रूस के खिलाफ CAATSA अधिनियम को पारित किया था, जिससे अमेरिका रूसी हथियार हासिल करने के लिए भारत जैसे करीबी साथी देशों पर भी तकनीकि रूप से प्रतिबंध लगा सकता है. भारत जैसे देशों को यह कानून ज्यादा प्रभावित करता है क्योंकि भारत हथियार खरीद के मामले में रूस पर निर्भर है.
थॉर्नबेरी ने कहा कि भारत सरकार के कुछ अधिकारियों से मुलाकात की गई है. उन्होंने बताया कि अधिकारियों का मानना है कि इस नए बिल में कुछ सुधार किया जा सकता है. मैं न सिर्फ भारत बल्कि इससे प्रभावित होने वाले हर देश के सुझावों को जानना चाहता हूं.
अमेरिका की धमकी पर अगर गौर करें तो भारत-रूस के सौदे से यूएस-निर्मित मानव रहित ड्रोन प्राप्त करने में मुश्किलें आ सकती हैं. ज्ञात हो कि इस ड्रोन का उपयोग पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर आतंकवादी लॉन्च-पैड के खिलाफ ऑपरेशन संचालन में किया जा सकता है.