Saturday, April 20, 2024
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लाखों लोग भुखमरी का शिकार और अनाज सड़कर हो रहा बेकार

SI News Today

Millions of people are dying starving and grain are rotting.

            

भारत कृषि प्रधान देश है और भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 70 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवार कृषि पर निर्भर करते हैं। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि यह सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 17% योगदान देता है और आबादी का 60% से अधिक रोजगार प्रदान करता है।

हम सभी जानते हैं कि कृषि क्षेत्र हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी की तरह अत्यंत महत्वपूर्ण है जो मानव जाति के लिए बुनियादी चीज़ें प्रदान करता है और तेजी से औद्योगिकीकरण क्षेत्र के विकास के लिए कच्चे माल प्रदान करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विनिर्माण क्षेत्र के अलावा, कृषि क्षेत्र ग्रामीण लोगों / युवाओं के लिए बड़ी आबादी के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर प्रदान करता है।

भारत में इस साल जून में अनाज का रिकॉर्ड तोड़ स्टॉक इकट्ठा हुआ है। ऐसे में भारत में आनाज की पैदावार में बढोतरी खुशी की बात तो है, लेकिन उनका गरीबों तक पहुंच ही न पाना चिंता का विषय है। बरसात इस चिंता को और बढ़ा रही है. भारत में मानसून का मौसम शुरू हो गया है. ऐसे में गोदामों में रखे अनाज के खराब होने का भी खतरा बढ़ रहा है। जरूरतमंदों तक यह पहुंच नहीं पा रहा। जानकारों का यह भी मानना है कि सरकार इस अनाज को गरीबों में बांट सकती है या फिर पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत उसे कम दाम पर बेच सकती थी, लेकिन ऐसा करके वह बाजार में कोई हलचल नहीं मचाना चाहती। कुपोषण का शिकार भूखे लोगों का पेट भर कर भारत सरकार पर आर्थिक सहायता का बोझ आ गया होता, जबकि हम आये दिन कहीं न कहीं भूख से मरने की खबरें पढ़ते और देखते है।इसमें होता कुछ नहीं है बस कुछ लोगो की जिम्मेदारी तय कर दी जाती है। चलता है नाटक जाँच का और अंत में परिणाम शून्य। क्या इससे समस्या जड़ से ख़त्म हो जाएगी? POS मशीनो से अनाज वितरण भी विचारणीय है। कहीं नेटवर्क नहीं तो कही आधार वैलिड नहीं। जहाँ दोनों हैं वहाँ बाँटने के लिए अनाज तो है मगर नीयत नहीं है।

सरकार खाद्य सुरक्षा को ले कर नहीं, बल्कि बाजार और आर्थिक स्थिति को ले कर ज्यादा वचनबद्ध है।सरकार इसलिए अनाज नहीं बांटना चाहती क्योंकि उससे बाजार पर बुरा असर पड़ेगा। पिछली और अबकी सरकार सालों से इस बात को अनदेखा करती आई है कि अनाज को रखने के लिए नई इमारतों की जरूरत है। ऐसा हाल उस देश का है जिसके सर्वोच्च न्यायलय ने भी कहा था- “जिस देश में लोग भूख से मर रहे हों, वहां अनाज के एक भी दाने को व्यर्थ करना अपराध है।”

तो क्या सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव लाकर ऐसा सिस्टम नहीं बनाना चाहिए जिसमे अनाज की खरीद समय से हो, रख-राखव के लिए नए सिरे से पैमाने बनाकर सुरक्षित गोदाम बनाये जाय, सही समय पर मूल्यांकन कर अनाज के रखने की जगह तय कर ली जाय, अनाज ख़राब न हो इसकी समुचित व्यवस्था की जाय और सबसे जरुरी बात ईमानदार और कर्मचारी नियुक्त हों।

 

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