Thursday, April 18, 2024
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सम्पूर्ण भारत में ऐसे मंदिर जहाँ हनुमान जी की प्रतिमा लेटे हुए, स्त्री रुप में, बालरूप हनुमान और उल्टे स्वरूप में हैं

SI News Today

Such a temple in entire India where the statue of Hanuman ji is lying, in the form of a woman, Balrup Hanuman and in reverse form.

इलाहबाद का हनुमान मंदिर जहां की भारत की एक मात्र लेटे हुए हनुुमान की प्रतिमा है जबकि इंदौर के उल्टे हनुमान मंदिर में उल्टे हनुमान की प्रतिमा हैं इसी तरह रतनपुर के गिरिजाबंध हनुमान मंदिर में स्त्री रुप में हनुमान प्रतिमा है। इन सबसे अलग गुजरात के जामनगर के बाल हनुमान मंदिर का नाम एक अनोखे रिकॉर्ड क़े कारण गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

1. इलाहबाद, उत्तर प्रदेश में हनुमान जी की लेटी हुई मुद्रा में प्रतिमा- यह एकमात्र छोटा किन्तु प्राचीन मंदिर है जिसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लम्बी है। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है। इलाहाबाद में संगम के निकट स्थित यह मंदिर उत्तर भारत के मंदिरों में अद्वितीय है। प्रतिदिन हज़ारों की तादाद में भक्तगण आते हैं।

इस मंदिर के बारे में एक कहानी जो सबसे ज्यादा तार्किक, प्रामाणिक एवं प्रासंगिक कथा इसके विषय में जनश्रुतियों के आधार पर प्राप्त होती है, वह यह है कि रामावतार में अर्थात त्रेतायुग में जब हनुमानजी अपने गुरु सूर्यदेव से अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी करके विदा होते समय गुरुदक्षिणा की बात चली। भगवान सूर्य ने हनुमान जी से कहा कि जब समय आएगा तो वे दक्षिणा मांग लेंगे। हनुमान जी मान गए। किन्तु फिर भी तत्काल में हनुमान जी के बहुत जोर देने पर भगवान सूर्य ने राम लक्ष्मण और सीता को राक्षसों से रक्षा हेतु हनुमान को नियुक्त कर दिया परन्तु राक्षस उनको कष्ट न पहुंचाएं इसका ध्यान रखना। सूर्यदेव की बात सुनकर हनुमान जी अयोध्या की तरफ प्रस्थान हो गए। भगवान श्री राम ने सोचा कि यदि हनुमान ही सब राक्षसों का संहार कर डालेंगे तो मेरे अवतार का उद्देश्य समाप्त हो जाएगा। अत: उन्होंने माया के द्वारा हनुमान जी को घोर निद्रा में डाल दिया, हनुमान जी जब चलते हुए गंगा के तट पर पहुंचे तब तक भगवान सूर्य अस्त हो गए। हनुमान जी ने माता गंगा को प्रणाम किया। क्यूंकि रात में नदी नहीं लांघते, यह सोचकर गंगा के तट पर ही रात व्यतीत करने का निर्णय लिया और वे वहीँ सो गए।

एक प्रासंगिक कथा और है, इस मंदिर के बारे में इस मान्यता के पीछे रामभक्त हनुमान के पुनर्जन्म की कथा जुड़ी हुई है। लंका विजय के बाद बजरंग बलि जब अपार कष्ट से पीडि़त होकर मरणा सन्न अवस्था मे पहुँच गए थे। तो माँ जानकी ने इसी जगह पर उन्हे अपना सिन्दूर देकर नया जीवन और हमेशा आरोग्य व चिरायु रहने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो भी इस त्रिवेणी तट पर संगम स्नान पर आयेंगा उस को संगम स्नान का असली फल तभी मिलेगा जब वह हनुमान जी के दर्शन करेगा।

हनुमान जी की इस प्रतिमा के बारे मे कहा जाता है कि 1400 इसवी में जब भारत में औरंगजेब का शासन काल था तब उसने इस प्रतिमा को यहां से हटाने का प्रयास किया था। करीब 100 सैनिकों को इस प्रतिमा को यहां स्थित किले के पास के मन्दिर से हटाने के काम मे लगा दिया था। कई दिनों तक प्रयास करने के बाद भी प्रतिमा टस से मस न हो सकी। सैनिक गंभीर बिमारी से ग्रस्त हो गये। मज़बूरी में औरंगजेब को प्रतिमा को वहीं छोड़ दिया।

संगम आने वाला प्रत्येक श्रद्धालु यहां सिंदूर चढ़ाने और हनुमान जी के दर्शन को जरुर पहुंचता है। बजरंग बली के लेटे हुए मन्दिर मे पूजा-अर्चना के लिए यूं तो हर रोज ही देश के कोने-कोने से हजारों भक्त आते हैं लेकिन मंदिर के महंत आनंद गिरी महाराज के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ साथ पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बल्लब भाई पटेल और चन्द्र शेखर आज़ाद जैसे तमाम विभूतियों ने अपने सर को यहां झुकाया, पूजन किया और अपने लिए और अपने देश के लिए मनोकामना मांगी। यह कहा जाता है कि यहां मांगी गई मनोकामना अक्सर पूरी होती है। आरोग्य व अन्य कामनाओं के पूरा होने पर हर मंगलवार और शनिवार को यहां मन्नत पूरी होने पर लोग गाजे-बाजे के साथ आते हैं। मन्दिर में कदम रखते ही श्रद्धालुओं को अजीब सी सुखद अनुभूति होती है। भक्तों का मानना है कि ऐसे प्रतिमा पूरे विश्व मे कहीं मौजूद नहीं है। यहाँ निसान चढ़ाने की परम्परा भी बहुत पुरानी हैं।

2. गुजरात के जामनगर के बाल हनुमान मंदिर- गुजरात राज्‍य के जामनगर में जामनगर में रणमल झील के दक्षिण पूर्व में हनुमान जी का एक चमत्‍कारी मंदिर है। इस मंदिर की स्‍थापना सन् 1540 में जामनगर की स्थापना के साथ ही हुई थी। इस मंदिर की खासियत केवल इसका अति प्राचीन होना ही नहीं है, बल्‍कि आज लोग इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्डस का हिस्‍सा होने के चलते भी पहचानते हैं।

3. रतनपुर, छत्तीसगढ़ का हनुमान जी का मंदिर- यह संसार का इकलौता मंदिर है, जहां हनुमान जी की नारी प्रतिमा की पूजा होती है। माना जाता है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा दस हजार साल पुरानी है।भगवान हनुमान के नारी रूप में होने के पीछे एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, प्राचीन काल में रतनपुर के एक राजा थे पृथ्वी देवजू। राजा हनुमान जी के भक्त थे। राजा को एक बार कुष्ट रोग हो गया। इससे राजा जीवन से निराश हो चुके थे। एक रात हनुमान जी राजा के सपने में आए और मंदिर बनवाने के लिए कहा। मंदिर निर्माण का काम जब पूरा हो गया तब हनुमान जी फिर से राज के सपने में आए और अपनी प्रतिमा को महामाया कुण्ड से निकालकर मंदिर में स्थापित करने का आदेश दिया। जब राजा ने महामाया कुंड में भगवान हनुमान की प्रतिमा देखी तो वह नारी रूप में थी। राजा ने भगवान के आदेश के अनुसार भगवान हनुमान की उसी नारी रूपी प्रतिमा की स्थापना कर दी।

4. सांवेर, इंदौर में हनुमानजी की उल्टी मूर्ति-  दुनियाभर के लोग इस मूर्ति को देखने यहां आते हैं। माना जाता है यह वही जगह है जहां से हनुमानजी अहिरावण को मारने के लिए पाताल में गए थे। इंदौर से 25 किमी दूर सांवेर में बजरंगबली की यह प्रतिमा उल्टी खड़ी है और इसी रूप में इनकी पूजा हो रही है। मंदिर के पुजारी नागेश द्विवेदी का कहना है कि इस मूर्ति के उल्टे होने के पीछे रामायण की घटना है। वे बताते हैं भगवान राम और रावण के युद्ध के दौरान अहिरावण ने धोखे से राम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया और उन्हें पाताललोक ले गया। माना जाता है कि इसी जगह से हनुमानजी पाताल गए और अहिरावण को मारकर भगवान राम और लक्ष्मण को वापस लेकर आए। हनुमानजी यहां से पाताल गए थे इसीलिए उनका सिर धरती की ओर है और उन्हें यहां पर पाताल विजय हनुमान के नाम से ही पूजा जाता है।

 

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