Tuesday, March 26, 2024
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DMRC मेट्रो कर्ज और घाटे के साथ चल रही है, क्या है मजबूरी?

SI News Today

DMRC is operating with Metro debt and deficit, what is compulsion?

     

दिल्ली मेट्रो का उदय 3 मई, 1995 को हुआ था। पिछले 23 सालों में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने 300 से किलोमीटर से भी अधिक लंबा नेटवर्क स्थापित कर लिया है जिसमे हर रोज लगभग 30 लाख लोगों के आवागमन होता है। हांगकांग, सिंगापुर व जापान की मेट्रो की तरह दिल्ली मेट्रो की गिनती भी परिचालन में मुनाफा कमाने वाली मेट्रो में होती है।

आने वाले समय में DMRC 2021 तक 490 किलोमीटर लंबे नेटवर्क के साथ विश्व का तीसरा सबसे लंबा मेट्रो रेल नेटवर्क बनने जा रही है, लेकिन इसके साथ ही दम भी घुटते घुटते बचा है। पिछले साल (2017) जुलाई में भी कर्मचारियों की हड़ताल के चलते मेट्रो के ठप होने के बात आई थी, लेकिन प्रबंधन ने ये मामला किसी तरह बातचीत के जरिए सुलझा लिया।

विस्तार परियोजनाओं के कारण दिल्ली मेट्रो 300 करोड़ रुपये से ज्यादा के घाटे में चल रही है। इस नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली-एनसीआर के यात्रियों पर एक साल में दो बार किराया वृद्धि किया गया। DMRC अधिकारियों के मुताबिक ऊर्जा में 105%, कर्मचारी खर्च में 139% और मरम्मत से जुड़े कामों में 213% से अधिक का इजाफा हुआ है। मेट्रो प्रबंधन के मुताबिक, कुशल प्रबंधन के बावजूद मेट्रो को 378 करोड़ रुपये का घाटा हर साल हो रहा है।

DMRC के मुताबिक चौथे और पांचवें चरण की परियोजनाओं पर काम चलने से लोन लेने के बाद मेट्रो पर कर्ज और बढ़ जाएगा। इसलिए किराया वृद्धि से नुकसान जरूर कम होगा, लेकिन मेट्रो फायदे में नहीं आएगी।

पहले से ही घाटे में चल रहे DMRC को पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने झटका देते हुए एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन का निर्माण करने वाली रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (RINFRA) सब्सिडियरी को 3502 करोड़ का भुगतान करने के आदेश दिया था, हालांकि यह मामला लंबित होने बावजूद DMRC को पैसे चुकाने ही होंगे। इसके अलावा DMRC ने जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन बैंक (JICA) से बड़ा लोन लिया हुआ है और उसपर अभी भी करीब 20 हजार करोड़ से अधिक का लोन अब भी बकाया है।

दिल्ली मेट्रो से पहले क्रमश: शंघाई, बीजिंग, लंदन, न्यूयार्क, मास्को, सियोल, मादरिद, मैक्सिको और पेरिस हैं। दिसंबर 2016 में तीसरे फेस का निर्माण कार्य पूरा होने के साथ दिल्ली मेट्रो न्यूयार्क, मास्को, सियोल, मादरिद, मैक्सिको और पेरिस मेट्रो को पीछे छोड़ते हुए विश्व का चौथा सबसे लंबा मेट्रो नेटवर्क बन गया।

2021 तक दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क 490 किलोमीटर का हो जायेगा जिसके साथ ही ये विश्व का तीसरा सबसे लंबा नेटवर्क बन जाएगा। वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क शंघाई का है जो करीब 588 किलोमीटर तक फैला है। दूसरे पायदान में 554 किलोमीटर लंबे मेट्रो रेल नेटवर्क के साथ बीजिंग मेट्रो का है। वहीं, दिल्ली मेट्रो 213 किलोमीटर लंबे मेट्रो रेल नेटवर्क के साथ 11वें पायदान पर है।

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